(करणवाचक)—
झाड़ना—झाड़न | बेलना—बेलन | जमाना—जामन |
[सू॰—(१) कभी-कभी एक ही करणवाचक शब्द कई अर्थों में आता है; जैसे झाड़न = झाड़ने का हथियार अथवा झाडा हुआ पदार्थ (कूड़ा)।
(२) न प्रत्यय संस्कृत के अन कृदत प्रत्यय से निकली है।]
ना-इस प्रत्यय के योग से क्रियार्थक, कर्मवाचक और करणवाचक संज्ञाएँ बनती हैं। हिंदी में इस कृदंत से धातु का भी निर्द्देश करते हैं; जैसे, बोलना, लिखना, देना, खाना, इत्यादि।
[सू॰—संस्कृत के अन प्रत्ययांत कृदंतों से हिंदी के कई नाप्रत्यर्यात कृदंत निकले हैं, पर ऐसा भर जान पड़ता है कि संस्कृत से केवल अन प्रत्यय लेकर उसे "ना" कर लिया है, क्योंकि यह प्रत्यय उर्दू शब्दों में भी लगा दिया जाता है और हिंदी के दूसरे शब्दों में भी जोड़ा जाता है; जैसे, उर्दू शब्द—'बदल' से बदलना, 'गुज़र' से गुज़रना, दाग़ से दाग़ना, गर्म से गर्माना। हिंदी शब्द—अलग से अलगाना, अपनी से अपनाना, लाठी से लठियाना, रिस से रिसाना, इत्यादि।]
(कर्मवाचक)—
खाना—खाना (भोज्य पदार्थ)—इस अर्थ में यह शब्द बहुधा मुसलमानों और उनके सहवासियों में प्रचलित है। गाना—गाना (गीत), बोलना—बोलना (बात), इत्यादि।
(अ)—(करणवाचक)—
बेलला—बेलना | कसना—कसना |
ओढ़नी—ओढ़ना | घोटना—घोटना |
(अ) किसी-किसी धातु का आद्द स्वर हृस्व हा जाता है; जैसे,
बाँधना—बँधना | छानना—छनना | कूटना—कुटना |
(इ)—(विशेषण)—
उड़ना (उडनेवाला) | हॅसना (हॅसनेवाला) सुहावना |
रोना (रोनेवाला, रोनीसूरत) | लदना (बैल) |