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आन (भाववाचक)—

घमस—घमासान ऊँचा—उँचान नीचा—निचान
लंबा—लंबान चौड़ा—चौड़ान

[सू॰—यह प्रत्यय बहुधा परिमाणवाचक विशेषणों में लगता है।]

आना (स्थानवाचक)—

राजपूत—राजपूताना हिंदू—हिंदुआना
तिलंगा—तिलंगाना उड़िया—उड़ियाना

सिरहाना, पैताना।


आनी —यह प्रत्यय स्त्रीलिंग का है। इसके प्रयोग के लिए लिंग-प्रकरण देखे।

आयत (भाववाचक)—

बहुत—बहुतायत पंच—पंचायत
तीसरा—तिसरायत; तिहायत अपना—अपनायत

आर—(अ) यह प्रत्यय संस्कृत के "कार" प्रत्यय का अपभ्रंश है। उदा॰—कुम्हार (कुंभकार), सुनार (सुवर्णकार), लुहार, चमार, सुआर (सुपकार)।

(आ) कभी-कभी इस प्रत्यय से विशेषण बनते हैं; जैसे,

दूध—दुधार, गाँव—गॅवार।

आरी , आरा , आड़ी , ये "आर" के पर्यायी हैं और थोड़े से शब्दों में लगते हैं; जैसे, पुजा—पुजारी, खेल-खिलाड़ी, बनिज-बनिज़ारा, घसियारा, भिखारी, हत्यारा, मटियारी, काठारी।

(अ)-(भाववाचक)—छूट-छुटकारा।

आल—(अ) इस प्रत्यय से विशेषण और संज्ञाएँ बनती हैं; जैसे,

लाठी—लठियाल भाटा—भठियालु

जौआला (जौ और अनाज का मिश्रण)