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वंन—गुण—अर्थ में, दया—दयावंत, धन-धनवंत, गुण—गुणवंत, शील—शीलवंत।

वाल—यह प्रत्यय "वाला" का शेष है; जैसे,

गया—गयावाल प्रयाग—प्रयागवाल
पल्ली–पल्लीवाल काेत (काेट)—केटवाल

वाला—कर्त्तृ—अर्थ में,

टोपी—टोपीवाला गाडी—गाडीवाला
धन—धनवाला काम—कामवाला

वाँ—(क्रमवाचक)—पाँचवाँ, छठवाँ, सातवाँ, नवाँ, दसवाँ, सौवाँ।

वा—(ऊनवाचक)—बेटा—बिटवा, बच्छा—बछवा, बच्चा—बचवा, पुर–पुरवा।

[सू॰—यह प्रत्यय प्रांतिक है।]

—(भाववाचक)—अप—आपस, धाम—घमस।

(क्रमवाचक)—ग्यारह—ग्यारस, बारह—बारस, तेरस, चौदस।

सा—(प्रकारवाचक)—यह, वह, सो, जो, कौन के साथ; जैसे, ऐसा, वैसा, कैसा, जैसा, तैसा।

(ऊनवाचक)—लालसा, अच्छासा, उडतासा, एकसा, स्वच्छसा, ऊँचासा।

(परिमाणवाचक)–थाेड़ासा, बहुतसा, छोटासा।

[सू॰—इस प्रत्यय का प्रयेाग कभी-कभी संबंघ-सूचक के आदर होता है। (अ॰-२४१)]।

सरा—(क्रमवाचक)—दूसरा, तीसरा।

सौं—(पूर्व दिनवाचक) परसों, नरसों।

हर—(घर के अर्थ में)—खण्हर, पैहर, नैहर, कठहरा।

हरा—(परत के अर्थ में) इकहरा, दुसरा, तिहरा, चौहरा।