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(विभिन्न अर्थ में)—ककहरा।

(गुणवाचक)—सेना—सुनहरा, रूपा—रुपहरा।

हा—(गुणवाचक)—इल—हलवाहा, पानी—पनिहा, कबीर—कबिराहा।

हारा—यह प्रत्यय वाला का पर्यायी है, परन्तु इसका उपयोग उसकी अपेक्षा कम होता है; जैसे, लकड़ी—लकड़हारा, पनहारा, चुडिहारा, मनिहारा।

ही—(निश्चयवाचक)—कई एक सर्वनामाें और क्रियाविशेषणों में यह प्रत्यय ई होकर मिल जाता है; जैसे,आजही, सभी, मैंही, तुम्हीं, उसी, वही, कभी, अभी, किसी, यहीं, इत्यादि

'नगर, पुर, गढ़, गाँव, नेर, मेर, वाड़ा, काेट आदि प्रत्यय स्थानों का नाम सूचित करते हैं, जैसे, रामनगर, शिवपुर, देवगढ़, चिरगाँव, बीकानेर, अजमेर, रजवाड़ा, नगरकाेट।

 

 

पाँचवा अध्याय
उर्दू प्रत्यय

४३७—संस्कृत और हिंदी के समान उर्दू यौगिक शब्द भी कृदंत और तद्धित के भेद से दो प्रकार के होते हैं। ये शब्द मुख्य करके देश भाषा अर्थात् फारसी और अरबी के हैं। इसलिए इनका विवेचन अलग-अलग किया जाता है।

(१) फारसी प्रत्यय
(क) फारसी कृदंत

अ (भाववाचक)—
आमद (आया)— आमद (अवाई)