यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(४३१)
(इ) ज्यादह—ज्यादती।
क (ऊनवाचक); जैसे, तोप—तुपक।
कार—इससे कर्तृवाचक संज्ञाएँ बनती हैं, जैसे, पेश (सामने)—पेशकार (सहायक), बद (बुरा)-त्रदकार (दुष्ट), काश्त (खेती)—काश्तकार (किसान), सलाह—सलाहकार।
[सू॰—हि दी जानकार” में यही प्रत्यय जान पडता है।]
गर—(कर्त्तृवाचक), जैसे,
सौदा—सौदागर | जिल्द—जिल्दगर |
कार—कारीगर | कलई—कलईगर, जीनगर। |
गार—(कर्त्तृवाचक)—
मदद—मददगार | याद—यादगार |
खिदमत—खिदमतगार | गुनाह—गुनाहगार। |
चा अथवा इचा (ऊनबाचक)—
बाग-बागचा अथवा बागीचा (हिं॰—बगीचा)
गाली (कालीन=शतरंजी)—गालीचा (हिं०—गलीचा)
देग (हिं॰—डेग)—देगचा (बटलाेई), चमचा।
दान (पात्रवाचक)—
कलम—कलमदान | शमअ (मेमबत्ती)—शमअदान |
इत्रदान, नावेदान, खानदान।
[सू॰—यह प्रत्यय हि दी शब्दों में भी लगाया जाता है और इसका रूप बहुधा दानी हो जाता है, जैसे, पानदान, पीकदान, (पीकदानी), चायदान, मच्छडदानी, गोंददानी, उगालदान।
बान (कर्त्तृवाचक)—
बाग—बागवान | दर (द्वार)—दरवान |