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(इ) ज्यादह—ज्यादती।

(ऊनवाचक); जैसे, तोप—तुपक।

कार—इससे कर्तृवाचक संज्ञाएँ बनती हैं, जैसे, पेश (सामने)—पेशकार (सहायक), बद (बुरा)-त्रदकार (दुष्ट), काश्त (खेती)—काश्तकार (किसान), सलाह—सलाहकार।

[सू॰—हि दी जानकार” में यही प्रत्यय जान पडता है।]

गर—(कर्त्तृवाचक), जैसे,

सौदा—सौदागर जिल्द—जिल्दगर
कार—कारीगर कलई—कलईगर, जीनगर।

गार—(कर्त्तृवाचक)—

मदद—मददगार याद—यादगार
खिदमत—खिदमतगार गुनाह—गुनाहगार।

चा अथवा इचा (ऊनबाचक)—

बाग-बागचा अथवा बागीचा (हिं॰—बगीचा)

गाली (कालीन=शतरंजी)—गालीचा (हिं०—गलीचा)

देग (हिं॰—डेग)—देगचा (बटलाेई), चमचा।

दान (पात्रवाचक)—

कलम—कलमदान शमअ (मेमबत्ती)—शमअदान

इत्रदान, नावेदान, खानदान।

[सू॰—यह प्रत्यय हि दी शब्दों में भी लगाया जाता है और इसका रूप बहुधा दानी हो जाता है, जैसे, पानदान, पीकदान, (पीकदानी), चायदान, मच्छडदानी, गोंददानी, उगालदान।

बान (कर्त्तृवाचक)—

बाग—बागवान दर (द्वार)—दरवान