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(४३२)

मिहर (दया) मिहरबान, मेज़बान (पाहुने का सत्कार करनेवाला)।

[सू॰—हिंदी-शब्दों में भी यह प्रत्यय लगता है; पर इसका रूप संस्कृत के अनुकरण पर वान हो जाता है; जैसे, गाड़ीवान, हाथीवान।]

(विविध अर्थ में)—
हफ्त (सात)— हफ्तह (सप्ताह)
चश्म (ऑख)—चश्मह दस्त (हाथ)—दस्तह (मूठ)
पेश (सामने)—पेशह रोज़—रोज़ह (उपास)

[सू॰—हिंदी में ह के स्थान में बहुधा आ हो जाता है, जैसे, हफ्ता, पेशा।]

४३७ (क)—नीचे लिखे शब्दों का उपयोग बहुधा प्रत्ययों के समान होता है—

नामा (चिट्ठी)—इकरारनामा, सरनामा, मुख्तारनामा।

आब (पानी)—गुलाब, गिलाब (गिल=मिट्टी), शराब।

(आ) विशेषण

आनह (आना)—
साल—सालाना रोज—रोजाना
मर्द—मर्दाना जन—जनाना
शाह—शाहाना 'व्यापाराना' अशुद्ध प्रयोग है।
इंदा
शर्म—शर्मिंदा, कार—कारिंदा।
आवर
जोरावर, दिलावर (साहसी)
बख्त़ावर (भाग्यवान) दस्तावर (रेचक)
नाक
दर्द—दर्दनाक, ख़ौफ—ख़ौफनाक।