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[सू॰—(१) एक ही धातु से ऊपर लिखे सब वजनों के शब्द व्युत्पन्न नहीं होते, किसी-किसी से दो वा तीन, और किसी-किसी से केवल एक ही वजन बनता है।

(२) जिन क्रियार्थक, संज्ञाओं के अंत में त रहता है वे बहुधा दूसरी क्रियार्थक संज्ञाओं में इन प्रत्यय के जोड़ने से बनती हैं; जैसे, रहम=रह् मत।]

कृदंत-विशेषण।

४४१—दूसरे मुख्य व्युत्पन्न शब्द कृदंत-विशेषण हैं। अधिक प्रचलित शब्दो के वजन वे हैं—

(१) फ़ाइल—अपूर्ण कृदंत अथवा कर्तृवाचक संज्ञा , जैसे, आलिम=विद्वान् (अलम=जानना से), हाकिम=अधिकारी (हकम=न्याय करना से), गाफिल=भूलनेवाला (गफफ=भूलना से)।

(२) मफ्ऊल—भूतकालिक (कर्मवाचक) कृदंत ; जैसे, मअलूम=जाना हुआ (अलम=जानना से), मन्जूर=स्वीकृत (नज़र=देखना से), मशहूर =प्रसिद्ध (शहर=प्रसिद्ध करना से)।

(३) फईल—इस रूप से गुण की स्थिरता अथवा अधिकता का बोध हेाता है; जैसे, हकीम=साधु वैद्य (हकम=न्याय करना से), रहीम=बड़ा दयालु (रहम=दया करना से)।

[सू॰—ऊपर लिखे तीनो वजनों के शब्द बहुधा संज्ञा के समान प्रयुक्त होते है।]

(४) फऊल—इसका अर्थ तीसरे रूप के समान है, जैसे, गफूर=अधिक क्षमाशील (गफर=क्षमा करने से), जरूर=आवश्यक (जर्र =सताना से)।

(५) अफ्अल—इस वजन पर त्रिवर्ण कृदंत विशेषण से उत्कर्ष-बोधक विशेषण बनते हैं; जैसे, अकबर=बहुत बड़ा (कबीर=बड़ा से), अहमद=परम प्रशंसनीय (हमीद=प्रशंसनीय से)