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छठा अध्याय

समास।

४४५—दो या अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बतानेवाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्द से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है उस शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं और उन दो या अधिक शब्दों का जो संयेाग होता है वह समास कहलाता है। उदा॰—प्रेमसागर अर्थात् प्रेम का समुद्र। इस उदाहरण में प्रेम और सागर, इन दो शब्दों का परस्पर संबंध बतानेवाले संबंधकारक के 'का' प्रत्यय का लोप होने से 'प्रेमसागर' एक स्वतंत्र शब्द बना है, इसलिए 'प्रेमसागर' सामासिक शब्द है और इस शब्द में प्रेम और सागर, इन दो शब्दों का संयोग है; इसलिये इस संयोग को समास कहते हैं।

समास के और उदाहरण—रसोईघर, राजकुमार, कालीमिर्च, मिठबोला।

[सू॰—यद्यपि "समास" शब्द का मूल अर्थ वही है जो ऊपर दिया गया है, तथापि वह सामासिक शब्द के अर्थ में भी आता है और इस पुस्तक में भी कहीं-कहीं यह अर्थ लिया गया है।]

४४६—जब दो या अधिक शब्द इस प्रकार जोड़े जाते हैं तब उनमें संधि के नियमों का प्रयोग होता है। संस्कृत शब्दों में संधि अवश्य होती है, पर हिंदी और दूसरी भाषाओं के शब्दों में बहुधा नहीं होती।

उदा॰—राम+अवतार=रामावतार, पत्र+उत्तर=पत्रोत्तर, मनस्+योग=मनोयोग। वयस्+वृद्ध=वयोवृद्ध। परंतु घर+आँगन=घर-आँगन, राम+आसरे=राम-आसरे, बे+ईमान=बेईमान ही रहता है।