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दिया-बत्ती साग-पात मंत्र-जंत्र
चमक-दमक भला-चंगा मोटा-ताजा
हृष्ट-पुष्ट कूड़ा-कचरा कील-काँटा
कंकर-पत्थर भूत-प्रेत काम-काज
बोल-चाल बाल-बच्चा जीव-जन्तु
दान-धर्म मेल-मिलाप

[सू॰—इस प्रकार के सामासिक शब्दों में कभी-कभी एक शब्द हिंदी और दूसरा उर्दू रहता है; जैसे, धन-दौलत, जी-जान, मोटा-ताजा, चीज-वस्तु, तन-बदन, कागज-पत्र, रीति-रसम, बैरी दुश्मन, भाई-बिरादर।]

( ख ) मिलते-जुलते अर्थ के पदों के मेल से बने हुए—

अन्न-जल आचार-विचार घर-द्वार
पान-फूल गोला-बारूद नाच-रंग
मोल-तोल खाना-पीना पान-तमाखू
जंगल-झाड़ी तीन-तेरह दिन-दोपहर
जैसा-तैसा सॉप-बिच्छू नोन-तेल
कुरता-टोपी

( ग ) परस्पर विरुद्ध अर्थवाले पदों का मेल; जैसे,

आगा-पीछा चढ़ा-उतरी
लेन-देन कहा-सुनी

[सू॰—इस प्रकार के कोई-कोई विशेषणोभयपद भी पाये जाते हैं। जब इनका प्रयेाग संज्ञा के समान होता है तब से द्वंद्व होते हैं, और जब ये विशेषण के समान आते हैं तब कर्मधारय होते है। उदा॰—लँगड़ा-लूला, भूखा-प्यासा, जैसा-तैसा, नंगा-उघारा, ऊँचा-पूरा, भरा-पूरा।]

(घ) ऐसे समास जिनमें एक शब्द सार्थक और दूसरा शब्द अर्थहीन, अप्रचलित अथवा पहले का समानुप्रास हो—जैसे,