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सातवाँ अध्याय

पुनरुक्त शब्द

४८६—पुनरुक्त शब्द यौगिक शब्दों का एक भेद हैं और इनमें से बहुत से सामासिक भी हैं। इनका विवेचन पुस्तक में यत्र-तत्र बहुत कुछ हो चुका है। बोलचाल में इनका प्रचार सामासिक शब्दों ही के लगभग है, और इनकी व्युत्पत्ति में सामासिक शब्द से बहुत-कुछ भिन्नता भी है। अतएव इनके एकत्र और नियमित विवेचन की आवश्यकता है। इन शब्दों का संयोग बहुधा विभक्ति अथवा सबंधी शब्द का लोप करने से नहीं होता।

४८७—पुनरुक्त शब्द तीन प्रकार के हैं—पूर्ण-पुनरुक्त, अपूर्ण-पुनरुक्त और अनुकरणवाचक।

४८८—जब कोई एक शब्द एकही-साथ लगातार दो-चार अथवा तीन-बार प्रयुक्त होता है तब उन सबको पूर्ण-पुनरुक्त शब्द कहते हैं, जैसे, देश-देश, बडे-बडे, चलते-चलते, जय-जय-जय।

४८९—जब किसी शब्द के साथ कोई समानुप्रास सार्थक वा निरर्थक शब्द आता है तब वे दोनों शब्द अपूर्ण-पुनरुक्त कहाते हैं, जैसे आस पास, आमने-सामने, देख-भाल, इत्यादि।

४९०—पदार्थ की यथार्थ अथवा कल्पित ध्वनि को ध्यान मे रखकर जो शब्द बनाये जाते हैं उन्हें अनुकरणवाचक शब्द कहते हैं, जैसे, फटफट, गड़गड़ाहट, अर्राना।

पूर्ण पुनरुक्त-शब्द

४९१—ये शब्द कई प्रकार के हैं। कभी-कभी समूचे शब्द की पुनरुक्ति ही से एक शब्द बनता है, और कभी-कभी दोनों शब्दों के बीच में एकाध अक्षर का आदेश हो जाता है।