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(ख) औपश्लेषिक आधार—वह वन में रहता है, किसान नदी में नहाता है, मछलियाँ समुद्र में रहती हैं, पुस्तक कोठे में रक्खी है।

(ग) वैषयिक आधार—नौकर काम में है, विद्या में उसकी रुचि है, इस विषय में कोई मत-भेद नहीं है, रूप में सुंदर, डील में ऊँचा, गुण में पूरा।

(घ) मोल—पुस्तक चार आने में मिली, उसने बीस रुपये में गाय ली, यह कपड़ा तुमने कितने में बेचा?

[सू॰—मोल के अर्थ में संप्रदान, संबध और अधिकरण कारक आते हैं। इन तीनों प्रकार के अर्थो में यह अंतर जान पड़ता है कि संप्रदान-कारक से कुछ अधिक दामों का, अधिकरण-कारक से कुछ कम दामों का और संबंध-कारक से उचित दामों का बोध होता है; जैसे, मैंने बीस रुपये की गाय ली, मैंने बीस रुपये में गाय ली और मैंने बीस रुपये को गाय ली।]

(छ) मेल तथा अंतर—हममें तुममें कोई भेद नहीं, भाई भाई में प्रीति है, उन दोनों में अनबन है।

(च) कारण—व्यापार में उसे टोटा पड़ा, क्रोध में शरीर छीजता है, बातों में उड़ाना, ऐसा करो जिसमें (वा जिससे) प्रयोजन सिद्ध हो जाये।

(छ) निर्धारण—देवताओं में कौन अधिक पूज्य है? सती स्त्रियों में पद्मिनी प्रसिद्ध है, सबमें छोटा, अंधों में काने राजा, तिन-महँ रावण कवन तुम? नव महँ जिनके एको होई। (अं॰—५३७ छ)

(ज) स्थिति—सिपाही चिंता में है, उसका भाई युद्ध में मारा गया, रोगी होश में नहीं है, नौकर मुझे रास्ते में मिला, लड़के चैन में हैं।