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(घ) विषयाधार—नौकरों पर दया करो, राजा उस कन्या पर माहित हो गये, आप पर मेरा विश्वास है, इस बात पर बड़ा विवाद हुआ, जाकर जेहि पर सत्य सनेहू, जाति-भेद पर कोई आक्षेप नहीं करता।

(ड) कारण—मेरे बोलने पर वह अप्रसन्न हो गया। इस बात पर सब झगड़ा मिट जायगा, लेन-देन पर कहा-सुनी हो गई, अच्छे काम पर इनाम मिलता है, पानी के छोटे छीटों पर राजा को बटबीज की याद आई।

(च) अधिकता—इस अर्थ में संज्ञा की द्विरुक्ति होती है; जैसे, घर से चिट्ठयों पर चिट्ठियाॅ आती हैं (सर॰), दिन पर दिन भाव चढ़ रहा है, तगादे पर तगादा भेजा जा रहा है, लड़ाई में सिपाहियों पर सिपाही कट रहे हैं।

(छ) निश्चित काल—समय पर वर्षा नहीं हुई, नौकर ठीक समय पर गया, गाड़ी नौ बजकर पैंतालीस मिनट पर आती है, एक एक घंटे पर दवा दी जावे।

(ज) नियम-पालन—वह अपने जेठों की चाल पर चलता है, लड़के माँ-बाप के स्वभाव पर होते हैं, अंत में वह अपनी जाति पर गया, तुम अपनी बात पर नहीं रहते।

(झ) अनंतरता—भोजन करने पर पान खाना, बात पर बात निकलती है, आपका पत्र आने पर सब प्रबंध हो जायगा।

(ञ) विरोध अथवा अनादर—इस अर्थ में 'पर' के पश्चात् बहुधा 'भी' आता है; जैसे, यह औषधि वात रोग पर चलती है, जले पर नोन लगना, लड़का छोटा होने पर भी चतुर है, इतना होने पर भी कोई निश्चय न हुआ, मेरे कई बार समझाने पर भी वह दुष्कर्म नही छोडता।