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जैसे, हमने लड़का और लड़की देखे; राजा ने दास और दासी भेजे; किसान ने बैल और गाय बेचे थे।

(उ) यदि भिन्न-भिन्न लिंग-वचन की एक से अधिक संज्ञाएँ अप्रत्यय कर्म-कारक में आवें तो क्रिया अंतिम कर्म के अनुसार होगी; जैसे, उसने मेरे वास्ते सात कमीजें और कई कपड़े तैयार किये थे (विचित्र॰); मैंने किश्ती में एक सौ मरे बैल, तीन सौ भेडें और खाने-पीने के लिए रोटियाँ और शराब भरपूर रख ली थी (तथा), उसने वहॉ देखरेख और प्रबंध किया।

(ऊ) जब अनेक संज्ञाएँ अप्रत्यय कर्म-कारक मे आकर किसी एक ही वस्तु को सूचित करती हैं तब क्रिया एकवचन में आती है; जैसे, मैंने एक अच्छा पड़ोसी और मित्र पाया है; लड़की ने "माता और कन्या" पढ़ी।

(ऋ) यदि कई कर्म विभाजक समुच्चय-बोधक के द्वारा जुड़े हों तो क्रिया अंतिम कर्म के अनुसार होती है, जैसे, तुमने टोपी या कुर्ता लिया होगा; लड़के ने पुस्तक, कागज अथवा पेंसिल पाई थी।

(ए) यदि कर्म या कर्मो का कोई समानाधिकरण शब्द हो तो क्रिया इसी के अनुसार होती है; जैसे, उसने धन, संतान, आरोग्यता आदि सब सुख पाया; हरिश्चंद्र ने राज-पाट, पुत्र-स्त्री, घर-द्वार सब कुछ त्याग दिया।

(ऐ) यदि अपूर्ण सकर्मक क्रियाओं की पूर्ति (अं॰—१६५) के लिंग-वचन से कर्म के लिंग-वचन भिन्न हों तो क्रिया के लिंग-वचन-पुरुष कर्म के अनुसार होते हैं, जैसे, उसने अपना शरीर मिट्टी कर लिया; हमने अपनी छाती पत्थर कर ली, क्या तुमने मेरा घर अपनी बपौती समझ लिया?