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(क) यदि मूल भाषण का दूरवर्त्ती अन्यपुरुष स्वयं उस भाषण का संवाददाता हो अथवा भाषण दुहराये जाने के समय उपस्थित हो, तो उसके लिए निकटवर्ती अन्यपुरुष का प्रयोग होगा; जैसे, (कृष्ण ने कहा कि) गोपाल (मेरे विषय में) कहता था कि यह (कृष्ण) बड़ा चतुर है। (हरि ने राम से कहा कि) गोपाल (तुम्हारे विषय में) कहता था कि यह (राम) बड़ा चतुर है।

(ख) पुनरुक्त भाषण में जो उत्तम पुरुष सर्वनाम आता है उसका यथार्थ सकेत तो प्रसंग ही से जाना जाता है; पर संभाषण में जिस व्यक्ति की प्रधानता होती है बहुधा उसी के लिए उत्तम पुरुष का प्रयोग होता है, जैसे, (१) विश्वामित्र ने हरिश्चंद्र से पूछा कि क्या तू (मुझे) नहीं जानता कि मैं कौन हूँ? (२) वाल्मीकि ने राम से कहा कि तुमने मुझसे (अपने विषय में) पूछा कि मैं कहाॅ रहूँ (पर) मैं आपसे पूछते हुए सकुचाता हूॅ।

(ग) किसी की ओर से दूसरे को सदेशा सुनाने में संवाददाता दोनो के लिए विकल्प से क्रमशः अन्यपुरुष और मध्यम पुरुष का प्रयोग करता है, जैसे, बाबू साहब ने मुझसे आपको यह लिखने के लिए कहा था कि हम (बाबू साहब) उनके (आपके) पत्र का उत्तर कुछ विलंव से देंगे, (अथवा) बाबू साहब ने मुझसे आपको यह लिखने के लिए कहा था कि वे (बाबू साहब) आपके पत्र का उत्तर कुछ विलंब से देंगे।

[सू॰—जहाँ सर्वनामों का अर्थ संदिग्ध रहता है वहाँ जिस व्यक्ति के लिए सर्वनाम का प्रयोग किया गया है, उसका कुछ भी उल्लेख कर देने से सदिग्धता मिट जाती है, जैसे क्या तुम (मेरे विषय में) समझते हो कि मैं मूर्ख हूँ? क्या तुम (अपने विषय में) सोचते हो कि मैं विद्वान् हूँ? गोपाल ने राम से कहा कि क्या मैं तेरी नैकरी करूँगा?]

५८३—आदरसूचक "आप" शब्द वाक्य में उद्देश्य हो तो क्रिया अन्य पुरुष बहुवचन में आती है; और परोक्ष विधि में गात