छठा अध्याय।
विशेषण और संबंध-कारक।
५८५—यदि विशेष्य विकृत रूप में आवे (अं॰—३३९), तो आकारांत विशेषणों में उसके लिंग, वचन, कारक के कारण विकार होता है; जैसे, छोटे लड़के, ऊँचे घर मे, छोटी लड़की।
५८६—विशेष्य-विशेषण और विशेष्य का अन्वय नीचे लिखे नियमों के अनुसार होता है—
(१) यदि अनेक विशेष्यों का एक ही विकारी विशेषण हो तो वह प्रथम विशेष्य के लिंग-वचनानुसार बदलता है; जैसे, वह कौन सा जप-तप, तीर्थ-यात्रा, होम-यज्ञ और प्रायश्चित्त है (गुटका॰); अपने छोटी-छोटी रिकाबियाँ और प्याले रख दिये (विचित्र॰); उसकी स्त्री और लड़के।
(२) यदि एक विशेष्य के पूर्व अनेक विशेषण हो तो सभी विशेष्य-निघ्र विशेषणों में विशेष्य के अनुसार विकार होगा; जैसे, एक लंबी, मोटी और गोल छड़ी लाओ; पैने और टेढ़े कॉटे।
(३) काल, दूरता, माप, धन, दिशा और रीति-वाचक संज्ञाओं के पहले जब संख्यावाचक विशेषण आता है और संज्ञाओं से समुदाय का बोध नहीं होता है, तब वे विकृत कारकों में भी बहुधा एकवचन ही के रूप में आती हैं; जैसे, तीन दिन में दो कोश का अंतर; चार मन की गौन, दो हजार रुपये में; दो प्रकार से; तीन ओर से।
(अ) तीन दिन में, तीन दिनों में, तीनों दिन में और तीनों दिनों मे—इन वाक्यांशों के अर्थ में सूक्ष्म अंतर है। पहले में साधारण गिनती है, दूसरे में अवधारण है और तीसरे तथा चौथे में समुदाय का अर्थ है।