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(आ) भूतकाल की किसी अवधि में एक काम का बार-बार होना—जहाँ-जहाॅ रामचद्रजी जाते थे, वहाँ-वहाँ आकाश में मेघ छाया करते थे। वह जो-जो कहता था उसका उत्तर मैं देता जाता था।

(इ) भूतकालिक अभ्यास—पहले यह बहुत सोता था। मैं उसे जितना पानी पिलाता था, उतना वह पीता था।

(ई) 'कब' के साथ इस काल से अयोग्यता सूचित होती है; जैसे, वह वहाँ कब रहता था? राजा की आँखें इस पर कब ठहर सकती थीं? वह राजपूत (उसे) कब छोड़ता था?

(उ) भूतकालीन उद्देश्य—मैं आपके पास आता था। वह कपड़े पहिनता ही था कि नौकर ने उसे पुकारा।

[सू॰—इस अर्थ में क्रिया के साथ बहुधा 'ही' अव्यय का प्रयोग होता है।]

(ऊ) वर्त्तमान-काल की किसी बात को दुहराने मे इसका प्रयोग होता है, जैसे, हम चाहते थे (और फिर भी चाहते हैं) कि आप मेरे साथ चलें। आप कहते थे कि वे आनेवाले हैं।

(८) संभाव्य वर्त्तमान-काल।

६०६—इस काल के अर्थ ये हैं—

(अ) वर्त्तमान-काल की (अपूर्ण) क्रिया की सभावना—कदाचित् इस गाड़ी में मेरा भाई आता हो। मुझे डर है कि कहीं कोई देखता न हो।

[सू॰—आशंका सूचित करने के लिए इस काल के साथ बहुधा "न" का प्रयोग करते हैं।]

(आ) अभ्यास (स्वभाव वा धर्म)—ऐसी घोड़ा लाओ जो घटे में दस मील जाता हो। हम ऐसा घर चाहते हैं जिसमें धूप आती हो।