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[सू॰—यह काल विशेष प्रचलित नहीं है, और इसके साथ उत्तर-वाक्य में बहुधा सामान्य संकेतार्थ-काल आता है।]

(आ) वर्त्तमान वा भूतकाल की कोई प्रसिद्ध इच्छा—मैं चाहता हूँ कि यह लड़का पढता होता। उसकी इच्छा थी कि मेरा भाई मेरे साथ काम करता होता।

(इ) कभी-कभी पूर्व वाक्य का लोप कर दिया जाता है और केवल उत्तर-वाक्य बोला जाता है, जैसे, इस समय वह लड़का पढता होता (=अगर वह जीता रहता तो पढने में मन लगाता)।

(११) सामान्य भूतकाल।

६०९—सामान्य भूतकाल नीचे लिखे अर्थ सूचित करता है—

(अ) बोलने वा लिखने के पूर्व क्रिया की स्वतंत्र घटना—जैसे, विधना ने इस दुख पर भी वियोग दिया। गाडी सबेरे आई। अस कहि कुटिल भई उठि ठाढी।

(आ) आसन्न-भविष्यत्—आप चलिए, मैं अभी आया। अब यह बेमैत मरा

(इ) सांकेतिक अथवा संबंधवाचक वाक्यों में इस काल से साधारण व निश्चित भविष्यत् का बोध होता है, जैसे, अगर तुम एक भा कदम बढे (बढ़ोगे), तो तुम्हारा बुरा हाल होगा। ज्योंही पानी रुका (रुकेगा), त्यों ही हम भागे (भागेंगे)। जहाॅ मैंने कुछ कहा, वहाँ वह तुरंत उठकर चला।

(ई) अभ्यास, संबोधन अथवा स्थिर सत्य सूचित करने के लिए इस काल का उपयोग सामान्य-वर्त्तमान के समान होता है, जैसे, ज्योंही वह उठा (उठता है) त्योंही उसने पानी माँगा (माँगता है)। लो, मैं यह चला। जिसने न पी गाँजे की कली (जो नहीं पीता है)। पढ़ा जिन्होंने छद-प्रभाकर, काया पलट हुए पद्माकर।