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[सू॰—कभी-कभी पूर्ण संकेतार्थ-काल दोनों सांकेतिक वाक्यों में आता है; और कभी-कभी केवल एक मे।]

(आ) भूतकाल की असिद्ध इच्छा—जब वह तुम्हारे पास आये थे, तब तुमने उन्हें बिठलाया तो होता। तुमने अपना काम एक बार तो कर लिया होता।

[सू॰—इस अर्थ में बहुधा अवधारण-बोधक क्रियाविशेषण 'तो' का प्रयोग होता है।]


आठवाॅ अध्याय।

क्रियार्थक संज्ञा।

६१५—क्रियार्थक संज्ञा का प्रयोग साधारणतः भाववाचक सज्ञा के समान होता है, इसलिए इसका प्रयोग बहुवचन में नहीं होता; जैसे, कहना सहज है, पर करना कठिन है।

(अ) इस संज्ञा का रूपांतर आकारांत संज्ञा के समान होता है; और जब इसका उपयोग विशेषण के समान होता है, तब इसमे कभी-कभी लिंग और वचन के कारण विकार होता है। यह संज्ञा बहुधा संबोधन कारक में नहीं आती (अं॰—३७२—अ)।

(आ) क्रियार्थक संज्ञा का उद्देश्य संबंध कारक में आता है; परंतु अप्राणिवाचक कर्त्ता की विभक्ति बहुधा लुप्त रहती है; जैसे, लड़के का जाना ठीक नहीं है। हिन्दुओं को गाय का मारा जाना सहन नही होता। रात को पानी बरसना शुरू हुआ। पिछले उदाहरण मे पानी का बरसना भी कह सकते हैं।

सू॰—दो भूतकालिक क्रियाओ की समकालीनता बताने के लिए पहली क्रिया "था" के साथ क्रियार्थक संज्ञा के रूप में आती है; जैसे, उसका वहां पहुँचना था कि चिट्ठी आ गई।]