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६३२—जिन सकर्मक अवधारण-बोधक क्रियाओं के साथ अकर्मक सहकारी क्रियाएँ आती हैं वे (कर्त्तृवाच्य में) सदैव कर्तरिप्रयोग में रहती हैं; जैसे, लड़का पुस्तक ले गया; सिपाही चोर को मार बैठा, दासी पानी ला रही है।

अप॰—जिन सकर्मक क्रियाओं के साथ 'आना' क्रिया अचानकता के अर्थ में आती है उनमें अप्रत्यय कर्म के साथ कर्मणिप्रयोग और सप्रत्यय कर्म के साथ भावेप्रयोग होता है, जैसे, मुझे वह बात कह आई, उसे नौकर को बुला आया।

(अ) अकर्मक क्रिया के साथ ऊपर लिखे अर्थ में 'आना' क्रिया सदैव भावेप्रयाग में रहती है, जैसे, बूढे को देखकर लड़के को हँस आया, लडकी को बात करने मे रो आता है, इत्यादि।

६३३—जिन अकर्मक अवधारण-बोधक क्रियाओं के साथ सकर्मक सहकारी क्रियाएँ आती हैं उनके साथ सप्रत्यय कर्त्ता- कारक रहता है, और वे भावेप्रयोग में आती हैं, जैसे, लड़के ने सो लिया, दासी ने हँस दिया, मेरी स्त्री और बहिन ने एक दूसरे को देखकर मुसकुरा दिया (सर॰)।

अप॰—(१) "होना" के साथ "लेना" क्रिया सदैव कर्त्तरिप्रयोग में आती है, जैसे, वे साधु हो लिये। जो बात होनी थी सो हो ली

अप॰—(२) "चलना" क्रिया के साथ "देना" क्रिया विकल्प से कर्त्तरि वा भावेप्रयाग में आती है, जैसे, वह मनुष्य तत्काल वहाँ से चल दिया (परी॰)। उन्होंने हाथ जोडकर मुनिवर वाल्मीकि को प्रणाम किया और उनकी आज्ञा से रथ पर सवार होकर चल दिया (रघु॰)।

(अ) अप्राणिवाचक कर्त्ता के साध बहुधा कर्त्तरिप्रयाग ही आता है, जैसे, गाडी चल दी।