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और राजकुमार राजधानी को लौट आये; पेड़ में फल और फूल दिखाई देते हैं।

(उ) अनेक मुख्य क्रियाओं की एक ही सहायक क्रिया हो तो उसका उपयोग केवल एक बार अंतिम क्रिया के साथ होता है; जैसे, मित्रता हमारे आनंद को बढ़ाती और कष्ट को घटती है; यहाॅ मिट्टी के खिलौने बनाये और बेचे जाते हैं।

(ऊ) समतासूचक वाक्यों में उपमानवाले वाक्य के उद्देश्य को छोड़कर बहुधा और सब शब्दों का लोप कर देते हैं; जैसे, राजा ऐसे दीप्तमान हैं मानो सान का चढ़ा हीरा। कोई-कोई जंतु तैरते फिरते हैं जैसे मछलियाँ।

(ऋ) जब पक्षांतर के संबंध में प्रश्न करने के लिए 'या' के साथ 'नही' का उपयोग करते हैं तब पहले वाक्य का लोप कर देते हैं, जैसे, तुम वहाँ जाओगे या नहीं? उसने तुम्हें बुलाया था या नहीं?

(ॠ) प्रश्नार्थक वाक्य के उत्तर में बहुधा वही एक शब्द रक्खा जाता है जिसके विषय में प्रश्न किया जाता है; जैसे, यह पुस्तक किसकी है? मेरी; क्या वह आता है? हाँ, आता है।

(ए) प्रश्नवाचक अव्यय "क्या" का बहुधा लोप हो जाता है; तब लेख में प्रश्न-चिह्न से और भाषण में स्वर के झटके से प्रश्न समझा जाता है, जैसे, तुम जाओगे? नौकर घर में है?

६५५—हिंदी में शब्दों के समान बहुधा प्रत्ययों का भी अध्याहार हो जाता है, और अन्यान्य प्रत्ययों की अपेक्षा विभक्ति-प्रत्ययों की अध्याहार कुछ अधिक होता है।

(अ) यदि कई संज्ञाओं में एक ही विभक्ति का योग हो तो उसका उपयोग केवल अंतिम शब्द के साथ होता है और शेष