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(आ) सप्रदान का स्थानांतर—तुम यह चिट्ठी मंत्री को देना। उसने अपना नाम मुझको नहीं बताया; ऐसा कहना तुमको उचित न था।

(इ) क्रिया का स्थानांतर—मैंने बुलाया एक को और आये दस। तुम्हारा पुण्य है बहुत और पाप है थोड़ा। धिक्कार है ऐसे जीने को। कपड़ा है तो सस्ता, पर मोटा है।

(ई) क्रिया-विशेषण का स्थानांतर—आज सबेरे पानी गिरा, किसी समय दो बटोही साथ-साथ जाते थे, इत्यादि।

६६२—समानाधिकरण शब्द सुख्य शब्द के पीछे आता है और पिछले शब्द में विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे, कल्लू, तेरा भाई बाहर खड़ा है, भवानी सुनार को बुलाओ।

६६३—अवधारण के लिए भेदक और भेद्य के बीच में संज्ञा-विशेषण और क्रिया-विशेषण आ सकते हैं; जैसे, मैं तेरा क्योंकर भरोसा करूँ, विधाता का भी तुम पर कुछ बस न चलेगा।

(अ) यदि भेद्य क्रियार्थक संज्ञा हो तो उसके संबंधी शब्द इसके और भेदक के बीच में आते हैं, जैसे, राम को वन को जाना स्थिर हुआ, आपका इस प्रकार बातें बनाना ठीक नही।

६६४—संबंधवाचक और उसके अनुसबंधी सर्वनाम के कर्मादि कारक बहुधा वाक्य के आदि मेँ आते हैं; जैसे, उसके पास एक पुस्तक है जिसमें देवताओं के चित्र हैं, वह नौकर कहाँ है जिसे आपने मेरे पास भेजा था, जिससे आप घृणा करते हैं उस पर दूसरे लोग प्रेम करते हैं, इत्यादि।

६६५—प्रश्नवाचक क्रिया-विशेषण और सर्वनाम अवधारण के लिए मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया के बीच में भी आ सकते हैं; जैसे, वह जाता कब था? हम वहाँ जा कैसे सकेंगे? ऐसा कहना क्यों चाहिये? तू होता कौन है? वह चाहता क्या है?