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[सू॰ शब्दों का प्रकार बताते समय उनके व्युत्पत्ति-संबंधी भेद-रूढ़, योगिक और योगरूढ़—भी बताना आवश्यक है।]

६७५—अब पद-परिचय के कई एक उदाहरण दिये जाते हैं। पहले सरल वाक्य-रचना के और फिर जटिल वाक्य-रचना के शब्दों की व्याख्या लिखी जायगी।

(क) सहज वाक्य-रचना के शब्द।

(१) वाक्य—वाह! क्या ही आनन्द का समय है!

वाह—रूढ़ विस्मयादिबोधक अव्यय, आश्चर्यबोधक।

क्याही—यौगिक विशेषण, अवधारण-बोधक, प्रकारवाचक, सार्वनामिक, विशेष्य 'आनंद', अविकारी शब्द।

आनंद का—यौगिक संज्ञा, भाववाचक, पुँल्लिंग, एकवचन, संबंध-कारक, संबंधी शब्द 'समय'।

समय—रूढ़ संज्ञा, भाववाचक, पुँल्लिंग, एकवचन, प्रधान कर्त्ताकारक, 'है' क्रिया से अन्वित।

है—मूल अकर्मक क्रिया, स्थितिबोधक, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ, सामान्य वर्त्तमान-काल, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, 'समय' कर्त्ता-कारक से अन्वित, कर्त्तरि प्रयोग।

(२) वाक्य—जो अपने वचन को नहीं पालता वह विश्वास के योग्य नहीं है।

जो—रूढ़ सर्वनाम, संबंधवाचक 'मनुष्य' संज्ञा की ओर संकेत करता है, अन्यपुरुष, पुँल्लिंग, एकवचन, प्रधान कर्त्ताकारक, 'पालता' क्रिया का।

अपने—रूढ़ सर्वनाम, निजवाचक, 'जो' सर्वनाम की ओर संकेत करता है, अन्यपुरुष, पुँल्लिंग, एकवचन, संबंध-कारक, संबंधी शब्द 'वचन को', विभक्ति-युक्त विशेष्य के कारण विकृत रूप।