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लादा जा रहा है—अवधारण-बोधक संयुक्त क्रिया, सकर्मक, कर्मवाच्य, निश्चयार्थ, अपूर्ण वर्त्तमानकाल, अन्यपुरुष, पुँल्लिंग, एकवचन, 'माल' अप्रत्यय कर्म (उद्देश्य) से अन्वित, कर्त्ता लुप्त। कर्मणि-प्रयोग।

(१२) फिर उन्हें एक बहुमूल्य चादर पर लिटाया जाता

उन्हे—कर्म-कारक, 'लिटाया जाता' क्रिया को सप्रत्यय कर्म, उद्देश्य होकर आया है।

लिटाया जाता—क्रिया, सकर्मक, कर्मवाच्य, निश्चयार्थ, अपूर्ण भूतकाल, सहकारी क्रिया 'था' का लोप, अन्यपुरुष, पुँल्लिग, एकवचन, 'उन्हें' संप्रत्यय कर्म-उद्दश्य, कर्त्ता लुप्त। भावेप्रयेाग।

(१३) आठ बजकर दस मिनट हुए हैं।

आठ—जातिवाचक संज्ञा, पुँल्लिग, बहुवचन, कर्त्ताकारक, 'बजकर' पूर्वकालिक कृदंत का स्वतंत्र कर्त्ता। यहाॅ 'आठ' संख्यावाचक विशेषण संज्ञा की नाई आया है।

बजकर—अकर्मक, पूर्वकालिक कृदंत अव्यय, कर्तृवाच्य, इसका स्वतंत्र कर्त्ता 'आठ', यह मुख्य क्रिया 'हुए हैं' की विशेषता बताता है।

(१४) यह सुनतेही मा बाप कुँअर के पास दौड़े आये।

सुनतेही—यौगिक तात्कालिक कृदंत, सकर्मक, कर्तृवाच्य, 'यह' कर्म पर अधिकार, 'आये' मुख्य क्रिया की विशेषता बतलाता है।

दौड़े—अकर्मक भूतकालिक कृदंत विशेषण, विशेष्य 'मा-बाप', पुँल्लिंग, बहुवचन।

(१५) गिनते-गिनते नौ महीने पूरे हुए।

गिनते-गिनते—पुनरुक्त अपूर्ण क्रियाद्योतक कृदंत, अव्यय, कर्तृवाच्य (अर्थ कर्मवाच्य), उद्देश्य 'महीने', कर्त्ता लुप्त; 'हुए' क्रिया की विशेषता बतलाता है।