जो―संकेतवाचक समुच्चयबोधक अव्यय, दो वाक्य को जोड़ता है――जोॱॱॱॱभरत को और सकलॱॱॱॱॱॱधरत को।
होत―स्थितिवाचक अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, संकेतार्थ, सामान्य संकेतार्थ-काल, अन्यपुरुप, पुँल्लिंग, एकवचन, कर्ता ‘जनम’, कर्त्तारिप्रयोग।
को(=का)—संबंध कारक की विभक्ति।
धरत―सकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, सामान्य संकेतार्थ-काल, कर्त्ता ‘को, कर्म ‘धर्म-धुर’, कर्त्तारिप्रयोग।
को―प्रश्नवाचक सर्वनाम, कर्त्ताकारक।
(२०) उन्हाने चट मुझको मेज पर खड़ा कर दिया।
चट―कालवाचक क्रिया-विशेषण अव्यय, ‘कर दिया’ क्रिया की विशेषता बतलाता है।
खड़ा―विधेय-विशेपण, विशेष्य “मुझको”, “कर दिया“ अपूर्ण सकर्मक क्रिया की पूर्ति।
(२१) मेरे रामको तो सब साफ मालूम होता था।
मेरे राम को(=मुझको)―संयुक्त पुरुपवाचक सर्वनाम, उत्तमपुरुप, संप्रदान-कारक, ‘होता था’ क्रिया से संबंध।
तो―अवधारणबोधक अव्यय, ‘मेरे राम के’ सर्वनाम के अर्थ में निश्चय जनाता है।
साफ―क्रिया-विशेषण, रीतिवाचक, ‘होता था? क्रिया की विशेषता बतलाता है।
(२२) धन, धरती, सब का सब हाथ से निकल गया।
सब का सब―सर्वनामिक वाक्यांश, ‘धन, धरती’ संज्ञाओं की ओर संकेत करता है, कर्त्ता-कारक, ‘निकल गया’ क्रिया से अन्वित।
(२३) जो अपने से बहुत बड़े हैं, उनसे घमंड क्या!
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