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अपने से―निजवाचक सर्वनाम, ‘मनुष्य’ लुप्त संज्ञा की ओर संकेत करता है, अपादान-कारक, ‘हैं’ क्रिया से संबंध।

क्या―रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, (हो सकता है) लुप्त क्रिया की विशेषता बताता है। क्या――कैसे।

(२४) क्या मनुष्य निरा पशु है?

क्या―प्रश्नवाचक अव्यय, ‘है‘ क्रिया की विशेषता बताता है।

निरा―विशेषण, गुणवाचक, विशेष्य ‘पशु’ संज्ञा, पुँल्लिंग, एकवचन।

(२५) मुझे भी पूरी आशा थी कि कभी न कभी अवश्य छुटकारा होगा।

कभी न कभी―क्रिया-विशेषण-वाक्यांश, कालवाचक।

(२६) यह अपमान भला किससे सहा जायगा?

भला―विस्मयादिबोधक, अनुमोदन-सूचक।

(२७) होनेवाली बात मानो उसे पहले ही से मालूम हो गई थी।

मानो―(मूल में क्रिया) समुच्चयबोधक, समतासूचक, प्रस्तुत वाक्य के पहले वाक्य,से मिलाता है।

पहले ही से― क्रियाविशेषण वाक्यांश, कालवाचक।

मालूम―‘वात’ संज्ञा का विधेय-विशेषण।

(२८) अवके तीन-बार जयध्वनि सुन पड़ी।

अबके―क्रियाविशेषण।

तीन-बार―क्रियाविशेषण-वाक्यांश।

[सू०―कोई-काई ‘तीन’ और ‘बार’ शब्दों की अलग-अलग व्याख्या करते हैं। वे ‘बार’ के पश्चात् तक संबंधसूचक अव्यय का अव्याहार मानकर ‘वार’ के संज्ञा लेखते है।]

सुन पड़ी संयुक्त सकर्मक क्रिया, अवधारणबोधक, कर्तृवाच्य (अर्थ कर्मवाच्य ), निश्चयार्थ, सामान्यभूत-काल, अन्य पुरुष, स्त्रीलिग, एकवचन, उद्देश्य ‘जयध्वनि’, कर्त्तरिप्रयोग।