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है; जैसे मुझसे चला नहीं जाता, लड़के से बोलते नहीं बनता। इन वाक्यों में क्रमशः चलना और बोलना उद्देश्य क्रिया ही के अर्थ में मिले हुए हैं।

६८०―रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं―(१) साधारण (२) मिश्र और (३) संयुक्त।

(क) जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय रहता है उसे साधारण वाक्य कहते हैं; जैसे, आज बहुत पानी गिरा। बिजली चमकती है।

(ख) जिस वाक्य मे मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के सिवा एक वा अधिक समापिका क्रियाएँ रहती हैं, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं; जैसे, वह कौनसा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो। जब लड़का पाँच बरस का हुआ तब पिता ने उसे मदरसे को भेजा। वैदिक लोग कितना भी अच्छा लिखें, तो भी उनके अक्षर अच्छे नहीं बनते।

मिश्र वाक्य के मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय से जो वाक्य बनता है उसे मुख्य उपवाक्य कहते हैं और दूसरे वाक्यों को आश्रित उप-वाक्य कहते हैं। आश्रित उपवाक्य स्वयं सार्थक नहीं होते, पर मुख्य वाक्य के साथ आने से उनका अर्थ निकलता है। ऊपर के वाक्यों में ‘वह कौनसा मनुष्य है, ‘तब पिता ने उसे मदरसे को भेजा’, ‘तभी उनके अक्षर अच्छे नहीं बनते’, ये मुख्य उपवाक्य हैं और शेष उपवाक्य इनके आश्रित होने के कारण आश्रित उपवाक्य हैं।

(ग) जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल रहता है उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। सयुक्त वाक्य के मुख्य वाक्यों के समानाधिकरण उपवाक्य कहते हैं, क्योंकि वे एक दूसरे के आश्रित नहीं रहते।