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तीसरा अध्याय ।

वर्णो का उच्चारण और वर्गीकरण ।। ३०---मुख के जिस भाग से जिस अक्षर का उच्चारण होता है, उसे उस अक्षर का स्थान कहते हैं ।

३१-स्थानभेद् से वर्षों के नीचे लिखे अनुसार वर्ग होते हैं-

कंट्य-जिनका उच्चारण कंठ से होता है; अर्थात् अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, है और विसर्ग ।

तालव्य-जिनका उच्चारण तालु से होता है, अर्थात् इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, ये और श।

मूर्धन्य--जिनका उच्चारण मूद्ध से होता है, अर्थात् , ट, ठ, ड, ढ, ण, र, और प ।

दंत्य–त, थ, द, ध, न, ल और स । इनका उच्चारण ऊपर के दाँतों पर जीभ लगाने से होता है।

ओष्ठ्य-इनका उच्चारण ओठों से होता है; जैसे, उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म ।।

अनुनासिक-इनका उच्चारण मुख और नासिका से होता है, अर्थात् ड, अ, ण, न, म और अनुस्वार। (देखो३९वॉऔर ४६वाँ अंक)। [ सूचना--स्वर भी अनुनासिक होते हैं । ( देखो ३९ वाँ अंक )] कंठ-तालव्य-जिनका उच्चारण कंठ और ताछ से होता है; अर्थात् ए, ऐ ।।

कंठोष्ठ्य–जिनका उच्चारण कंठ और ओंठों से होता है, अर्थात् ओ, औ ।

| दंत्योष्ठ्य-जिनका उच्चारण दॉत और ओंठो से होता है; अर्थात् च ।