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(क) संज्ञा या संज्ञा-वाक्यांश―वह घर गया। सब दिन चले अढ़ाई कोसएक समय बड़ा अकाल पड़ा। उसने कई वर्ष राज्य किया।

(ख) क्रिया-विशेषण के समान उपयोग में आनेवाला विशेषण- वह अच्छा लिखता है। स्त्री मधुर गाती है। मैं स्वस्थ वैठा हूँ।

(ग) विशेष्य के परे आनेवाला विशेषण―स्त्रियाँ उदास बैठी थी। उसका लड़का भला-चंगा खड़ा है। मैं चुपचाप चला गया। कुत्ता भौंकता हुआ भाग। तुम मारे-मारे फिरोगे।

(घ) पूर्ण तथा अपूर्ण क्रियाद्योतक कृदंत―कुत्ता पूछ हिलाते हुए आया। स्त्री बकते-बकते चली गई। लड़का बैठे-बैठे उकना गया। तुम्हारी लड़की छाता लिये जाती थी।

(ङ) पूर्वकालिक कृदंत―वह उठकर भागा। तुम दौड़कर चलते हो। वे नहाकर लौट आये।

(च) तत्कालबोधक कृदंत―उसने आते ही उपद्रव मचाया। स्त्री गिरते ही मर गई। वह लेटते ही सो गया।

[सू०―इन कृदंतों से बने हुए वाक्यांश भी उपयोग में आते है।]

(छ) स्वतंत्र वाक्यांश―इससे थकावट दूर होकर, अच्छी नींद आती है। तुम इतनी रात गये क्यों आए? सूरज निकलते ही वे लोग भागे। दिन रहते यह काज हो जायगा। दो बजे गाड़ी आती है। मुझे सारी रात तलफते बीती। उनको गये एक साल हो गया। लाश गड्ढा खेादकर गाड़ दी गई।

(ज) क्रिया-विशेषण वा क्रिय-विशेषण-वाक्यांश―गाड़ी जल्दी चलती है। राजा आज आये। वे मुझसे प्रेमपूर्वक बोले। चोर कहीं न कहीं छिपा है। पुस्तक हाथों-हाथ बिक गई। उसने जैसे-तैसे काम पूरा किया।