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आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य के “कंस के जाने के स्थान में” क्रिया-विशेषण-वाक्यांश के बदले आया है जो “भेजूँगा” क्रिया की विशेषता बतलाता है।

| [टी०—ऊपर के विवेचन से सिद्ध होता है कि आश्रित उपवाक्यो के स्थान में, उनकी जाति के अनुरूप, उसी अर्थ की संज्ञा, विशेषण अथवा क्रिया- विशेषण रखने से मिश्र वाक्य साधारण वाक्य हो जाता है, और इसके विरूद्ध साधारण वाक्यों की संज्ञा, विशेषण वा क्रिया-विशेषण के बदले, उनकी जाति के अनुरूप, उसी अर्थ के संज्ञा-उपवाक्य, विशेषण-उपवाक्य अथवा क्रिया- विशेषण-उपवाक्य रखने से साधारण वाक्य मिश्र वाक्य बन जाता है।]

७००—जिस प्रकार साधारण वाक्य में समानाधिकरण संज्ञाएँ, विशेषण वा क्रिया-विशेषण आ सकते हैं, उसी प्रकार मिश्र वाक्य में दो वा अधिक समानाधिकरण आश्रित उपवाक्य भी आ सकते हैं। उदा○—हम चाहते हैं कि लडके निरोगी रहें और वे विद्वान् हों। इस मिश्र वाक्य में “हम चाहते हैं” मुख्य उपवाक्य है और “लड़के निरोगी रहे” और “विद्वान् हों” ये दो आश्रित उप- वाक्य हैं। ये दोनों उपवाक्य “चाहते हैं” क्रिया के कर्म हैं; इस- लिए दोनों समानाधिकरण संज्ञा-उपवाक्य हैं। यदि इनके स्थान में सज्ञाएँ रखी जावे तो ये दोनों समानाधिकरण होंगी, जैसे, हम “लड़कों का निरोगी रहना” और “उनका विद्वान् होना” चाहते हैं। इस वक्य में ‘रहना’ और ‘होना’ संज्ञाओं का ‘चाहते हैं’ क्रिया से ही एक प्रकार का—कर्म का—संबध है, इसलिए ये दोनों संज्ञाएँ समानाधिकरण हैं ।

(क) मिश्र वाक्य में जिस प्रकार प्रधान उपवाक्य के संबध से आश्रित उपवाक्य आते हैं इसी प्रकार आश्रित उपवाक्यों के संबध से भी आश्रित उपवाक्य आ सकते हैं, जैसे, नौकर ने कहा कि मैं जिस दुकान में गया था उसमें दवा नहीं मिली। इस