पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/६२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(६०४)

हूँ”। ऊषा क्या देखती है “कि चारों ओर बिजली चमकने लगी”। एक दिन ऐसा हुआ कि युद्ध के समय अचानक ग्रहण पड़ा।”

विशेषण-उपवाक्य।

७०४―विशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा की विशेषता बतलाता है; इसलिए वाक्य में जिन-जिन स्थानों में संज्ञा आती है उन्ही स्थानों में उसके साथ विशेषण-उपवाक्य लगाया जा सकता है; जैसे―

(क) उद्देश्य के साथ―जो सोया उसने खोया। एक बड़ा बुद्धिमान् डाक्टर था जो राजनीति के तत्त्व को अच्छी तरह समझता था।

(ख) कर्म के साथ―वहाँ जे कुछ देखने योग्य था मैंने सब देख लिया। वह ऐसी बातें कहता है जिनसे सबको बुरा लगता है।

(ग) पूर्त्ति के साथ―वह कैन सा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो। राजा का घातक एक सिपाही निकला जिसने एक समय उसके प्राण बचाये थे।

(घ) विधेय-विस्तारक के साथ―आप उस अपकीर्त्ति पर ध्यान नहीं देते जो बालहत्या के कारण सारे संसार में होती है। उन्होंने जो कुछ दिया उसीसे मुझे परम संतोष है।

[सू०―ऊपर जे चार मुख्य अवयव बताये गये हैं उनसे यह न समझना चाहिये कि विशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की और किसी संज्ञा के साथ नहीं आता। यथार्थ में विशेषण-उपवाक्ये मुख्य उपवाक्य की किसी भी संज्ञा की विशेषता बतलाता है। उदा०—आपने इस अनित्य शरीर का, जो अल्प ही काल में नाश हो जायेगा, इतना मोह किया! इस वाक्य में विशेषण-उपवाक्य―“जो अल्प ही काल में नाश हो जायगा”― उद्देश्यबर्द्धक संज्ञा “शरीर” के साथ आया है।]