पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/६३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(६१५)


(३) वेग चली आ जिससे सब एक-संग क्षेम-कुशल से कुटी में पहुँचें। (मिश्र वाक्य)

(क) वेग चली आ। (मुख्य उपवाक्य)

(ख) जिससे सब एक-संग क्षेम-कुशल से कुटी में पहुँचें। [क्रियाविशेषण-उपवाक्य, (क) का।]

वाक्य प्रकार साधारण उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधारण विधेय कर्म पूर्त्ति विधेय-विस्तारक सं॰ श॰
(क) मुख्य उपवाक्य तू (लुप्त) चली आ वेग
(ख) क्रिया-विशेषण-उपवाक्य, (क) का कार्य सब पहुँचें एक-संग, क्षेम-कुशल से; कुटी में जिससे

(४) जो आदमी जिस समाज का है उसके व्यवहारों का कुछ न कुछ असर उसके द्वारा समाज पर जरूर ही पड़ता है। (मिश्र वाक्य)

(क) उसके व्यवहारों का कुछ न कुछ असर उसके द्वारा समाज पर जरूर ही पड़ता है। (मुख्य उपवाक्य)

(ख) जो आदमी जिस समाज का है। [विशेषण-उपवाक्य, (क) का]

वाक्य प्रकार साधा॰ उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधा॰ विधेय कर्म पूर्त्ति विधेय-विस्तारक सं॰ श॰
(क) मुख्य उपवाक्य आदमी जो है जिस समाज का
(ख) विशेषण-उपवाक्य, (क) का असर उसके व्यवहारों का, कुछ न कुछ पड़ता है उसके द्वारा, समाज पर, जरूर ही