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(७) आज लोगों के मन में यही एक बात समा रही है कि जहाँ तक हो सके शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिए। (मिश्र वाक्य)

(क) आज लोगों के मन में यही एक बात समा रही है। (मुख्य उपवाक्य)

(ख) कि शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिये। [संज्ञा-उपवाक्य (क) का, बात संज्ञा का समानाधिकरण]।

(ग) जहाँ तक हो सके। [क्रिया-विशेषण उपवाक्य, (ख) का, परिमाण]।

वाक्य प्रकार साधारण उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधारण विधेय कर्म पूर्त्ति विधेय-विस्तारक सं॰ श॰
(क) मुख्य उपवाक्य (ख) का बात यही एक समा रही है आजकल लोगों के मन में
(ख) संज्ञा-उपवाक्य, (क) का, बात संज्ञा का समानाधिकरण हमें (लुप्त) लेना चाहिए बदला शीघ्र ही, शत्रुओं से कि
(ग) क्रिया-वि॰-उपवाक्य, (ख) का परिमाण यह (लुप्त) हो सके जहाँ-तक

(८) शत्रु इसलिए नहीं मारे जा सकते कि उन्होंने वर ही ऐसा प्राप्त किया है जिससे उन्हें कोई नहीं मार सकता।

(क) शत्रु, इसलिए नहीं मारे जा सकते। (मुख्य उपवाक्य)

(ख) कि उन्होंने वर ही ऐसा प्राप्त किया है। [क्रिया-विशेषण उपवाक्य, (क) का कारण]।