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वाक्य प्रकार साधारण उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधारण विधेय कर्म पूर्त्ति विधेय-विस्तारक सं॰ श॰
(क) मुख्य उपवाक्य मैं (लुप्त) लिखता हूँ उसे तथापि
(ख) विशेषण-उपवाक्य, (क) का मैंने (लुप्त) सुना है जो जन-श्रुतियों द्वारा
(ग) विशेषण-उपवाक्य, (क) का, (ख) का समानाधिकरण मैंने (लुप्त) देखा है जो कुछ आँखों और
(घ) क्रिया-विशेषण-उपवाक्य, (क) का विरोध चरित्र स्वामीजी का नहीं है (लुप्त) मालूम मुझे, विशेष रूप से यद्यपि

पाँचवाँ अध्याय।
संयुक्त वाक्य।

७२१—संयुक्त वाक्य में एक से अधिक प्रधान उपवाक्य रहते हैं और इन प्रधान उपवाक्यों के साथ बहुधा इनके आश्रित उपवाक्य भी रहते हैं।

[सू॰— पहले (अ॰—६८०—ग में) कहा गया है कि संयुक्त वाक्यों में जो प्रधान (समानाधिकरण) उपवाक्य रहते हैं, वे एक दूसरे के आश्रित नहीं रहते, पर इससे यह न समझ लेना चाहिये कि उनमें परस्पर आश्रय कुछ भी नहीं होता। बात यह है कि आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर जितना