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है, इस समय चलकर उनकी चिता मेटा चाहिये। इन्हें आने का हर्ष, न जाने का शोक।

७२४―जिस प्रकार संयुक्त वाक्य के प्रधान उपवाक्य समा- नाधिकरण समुच्चय-बोधकों के द्वारा जोड़े जाते हैं, उसी प्रकार मिश्र वाक्य के आश्रित उपवाक्य भी इन अव्ययां के द्वारा जोड़े जा सकते हैं ( अं०-७००), जैसे, क्या संसार में ऐसे मनुष्य नहीं दिखाई देते, जो करोड़पति तो हैं, पर जिनका सच्चा मान कुछ भी नहीं है। इस पूरे वाक्य में “जिनकी सच्चा मान कुछ भी नहीं हैं” आश्रित उपवाक्य है और वह “जो करोडपति तो हैं,” इस उपवाक्य का विरोध-दर्शक समानाधिकरण है। तो भी इन उपवाक्यो के कारण पूरा वाक्य सयुक्त वाक्य नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें केवल एक ही प्रधान उपवाक्य है।

संकुचित संयुक्त वाक्य।

७२५―जब सयुक्त वाक्य के समानाधिकरण उपवाक्यों में एक ही उद्देश्य अथवा एक ही विधेय या दूसरा कोई एक ही भाग बार-बार आता है तब उस भाग की पुनरुक्ति मिटाने के लिये उसे एक ही बार लिखकर संयुक्त वाक्य (अं०―६५४) को संकुचित कर देते हैं। चारों प्रकार के संयुक्त वाक्य सकुचित हो सकते हैं; जैसे,

(१) संयोजक―ग्रह और उपग्रह सूर्य के आस-पास घूमते हैं=ग्रह सूर्य के आस-पास घूमते हैं और उपग्रह सूर्य के आस-पास घूमते हैं।

(२) विभाजक―न उसमें पत्ते थे, ने फूल=न उसमें पत्ते थे न फूल थे।