पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/६४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(६२४)

 

(३) विरोध दर्शक―इस समय वह गैतम के नाम से नहीं, बरन बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुआ = इस समय वह गैातम के नाम से नही प्रसिद्ध हुआ, बरन बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

(४) परिणाम-बेधक―पत्ते सूख रहे हैं; इसलिए पीले दिखाई देते हैं = पत्ते सूख रहे हैं; इसलिए वे पीले दिखाई देते हैं।

७२६―सकुचिन संयुक्त वाक्य में―

(१) दो या अधिक उद्देश्यों का एक ही विधेय हो सकता है; जैसे, मनुष्य और कुत्ते सब जगह पाये जाते हैं। उन्हे आगे पढ़ने के लिये न समय, न धन, ने इच्छा हेाती है।

(२) एक उद्देश्य के दे या अधिक विधेय हो सकते हैं, जैसे, गर्मी से पदार्थ है फैलते हैं और ठंड से सिकुड़ते हैं।

(३) एक विधेय के दो वा अधिक कर्म हो सकते हैं; जैसे, पानी अपने साथ मिट्टी और पत्थर बहा ले जाता है।

(४) एक विधेय की दो वा अधिक पूर्तियाँ हो सकती हैं; जैसे, सोना सुन्दर और कीमती हेाता है।

(५) एक विधेय के दो वा अधिक विधेय-विस्तारक हो सकते हैं; जैसे, दुरात्मा के धर्मशास्त्र पढ़ने और वेद के अध्ययन करने से कुछ नहीं होता। वह ब्राह्मण अति सन्तुष्ट हो, आशीर्वाद दे, वहाँ से उठ, राजा भीष्मक के पास गया।

(६) एक उद्देश्य के कई उद्देश्यवर्द्धक हो सकते हैं; जैसे, मेरा और मेरे भाई का विवाह एक ही घर में हुआ है।

(७) एक कर्म अथवा पूर्त्ति के अनेक गुणवाचक शब्द हो सकते हैं; जैसे, सतपुड़ा नर्मदा और ताप्ती के पानी को जुदा करता हैं। घोड़ा उपयेागी और साहसी जानवर है।

७२७―ऊपर लिखे सभी प्रकार के संकुचित प्रयेागों के कारण साधारण वाक्यों के सयुक्त वाक्य मानना ठीक नहीं है, क्योंकि