७२९―अब दो-एक उदाहरण संयुक्त वाक्य के पृथक्करण के दिये जाते हैं। इसमें शुद्ध संयुक्त वाक्य के प्रधान उपवाक्यों का परम्पर संबंध बताना पड़ता है; और संकुचित संयुक्त वाक्य के संयुक्त भागों के पूर्णता से प्रकट करने की आवश्यकता होती है। शेष बातें साधारण अथवा मिश्र वाक्यों के समान कही जाती हैं―
(१) दो-एक दिन आते हुए दासी ने उसको देखा था; किन्तु वह संध्या के पीछे आता था, इससे वह उसे पहचान न सकी; और उसने यही जाना कि नौकर ही चुपचाप निकल जाता है। (संयुक्त वाक्य)
(क) दो-एक दिन आते हुए दासी ने उसको देखा था। (मुख्य उपवाक्य; ख, ग, घ का समानाधिकरण)
(ख) किन्तु वह संध्या के पीछे आता था। (मुख्य उपवाक्य ग, घ का समानाधिकरण, क का विरोध-दर्शक)
(ग) इससे वह उसे पहचान न सकी। (मुख्य उपवाक्य घ का समानाधिकरण, ख का परिणाम-बेधक)
(घ) और उसने यही जाना। (मुख्य उपवाक्य ङ का, ग का संयोजक)
(ङ) कि नौकर ही चुपचाप निकल जाता है। (संज्ञा- उपवाक्य घ का कर्म)
(२) अन्य जातियों के प्राचीन इतिहास में विचार-स्वातंत्र्य के कारण अनेक महात्मा पुरुष सूली पर चढ़ाये या आग मे जलाये गये; परन्तु यह आर्य-जाति ही का गौरवान्वित प्राचीन इतिहास है जिसमें स्वतंत्र विचार प्रकट करनेवाले पुरुषों को, चाहे उनके विचार लोकमत के कितने ही प्रतिकूल क्यों न हों, अवतार और सिद्ध पुरुष, मानने में जरा भी आनाकानी नहीं की गई। (संकुचित संयुक्त वाक्य)