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छोड़ दिये जाते हैं। इस प्रकार के वाक्यों को संक्षिप्त वाक्य कहते हैं। (अंक―६५१-६५४)। उदा०―( ) सुना है। ( ) कहते हैं। दूर के ढोल सुहावने ( )। यह आप जैसे लोगों का काम है = यह ऐसे लोगों का काम हैं जैसे आप हैं। इन उदाहरणों मे छूटे हुए शब्द वाक्य-रचना में अत्यन्त आवश्यक होने पर भी अपने अभाव से वाक्य के अर्थ में कोई हीनता उत्पन्न नहीं करते।

[सू०–संकुचित संयुक्त वाक्य भी एक प्रकार के संक्षिप्त वाक्य है; पर उनकी विशेषता के कारण उनका विवेचन अलग किया गया है। संक्षिप्त वाक्यों के वर्ग में केवल ऐसे वाक्यों का समावेश किया जाता है जो साधारण अथवा मिश्र होते है और जिनमें प्राय, ऐसे शब्दों का लोप किया जाता है जो वाक्य में पहले कभी नहीं आते अथवा जिनके कारण वाक्यों के अवयवों का संयेाग नहीं होता। इस प्रकार के वाक्यों के अनेक उदाहरण अध्याहार के अध्याय में आ चुके है, इसलिए यहाँ उनके लिखने की आवश्यकता नहीं है।]

७३१―किसी-किसी विशेषण-वाक्य के साथ पूरे मुख्य वाक्य का लोप हो जाता है; जैसे, जो हो, जो आज्ञा, जैसा आप समझे।

७३२—संक्षिप्त वाक्यों का पृथक्करण करते समय अध्याहृत शब्दों को प्रकट करने की आवश्यकता होती है; पर इस बात का विचार रखना चाहिये कि इन वाक्यों की जाति मे कोई हेरफेर न हो।

[टी०―वाक्य-पृथक्करण का विस्तृत विवेचन हिन्दी में अँगरेजी भाषा के व्याकरण से लिया गया है। इसलिए हिन्दी के अधिकांश वैयाकरणों ने इस विषय को ग्रहण नहीं किया है। कुछ पुस्तकों में इसका संक्षेप से वर्णन पाया जाता है, और कुछ में इसकी केवल दो-चार बातें लिखी गई हैं। ऐसी अवस्था में इन पुस्तकों में की हुई विवेचना का खंडन-मंडन अनावश्यक जान पड़ता है।]