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सातवाँ अध्याय।

कुछ विशेष प्रकार के वाक्य।

७३३―अर्थ के अनुसार वाक्यों के जो आठ भेद होते हैं। (अं०―५०६) उनमें से संकेतार्थक वाक्य को छोड़कर, शेष सभी वाक्य तीन प्रकार व हो सकते हैं। संकेतार्थक वाक्य मिश्र होते हैं। उदा०―

(९) विधानार्थक।

साधारण―राजा नगर में आये। मिश्र―जब राजा नगर में आते हैं तब आनंद मनाया जाता है। सयुक्त―राजा नगर में आये और उनके लिए आनंद मनाया गया।

(२) निषेधवाचक।

सा०―राजा नगर में नहीं आये। मि०―जिस देश में राजा नहीं रहता, वहाँ की प्रजा को शाति नहीं मिलती। स०―राजा नगर में नहीं आये ; इसलिए अानंद नहीं मनाया गया।

(३) आज्ञार्थक।

सा०―अपना काम देखे। मि०―जो काम तुम्हें दिया गया है उसे देखो। सं०―बातचीत बंद करो और अपना काम देखो।

(४) प्रश्नार्थक।

सा०―बह आदमी आया है? मि०―क्या तुम जानते हो कि वह आदमी कब आया? सं०―वह कब आया और कब गया?

(५) विस्मयादिवेधक है।

सा०―तुमने तो बहुत अच्छा काम किया। मि०―जो काम तुमने किया है वह तो बहुत अच्छा है! तुमने इतना अच्छा काम किया और मुझे उसकी खबर ही ने दी!