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(च) यदि उद्देश्य बहुत लंबा हो, तो उसके पश्चात् ; जैसे, चारों तरफ चलनेवाले सवारों के घोडों की बढ़ती हुई आवाज, दूर-दूर तक फैल रही थी।

(छ) कई-एक क्रिया-विशेषण वाक्यांशों के साथ; जैसे, बड़े महात्माओं ने, समय-समय पर, यह उपदेश दिया है। एक हव्शी लड़का मजबूत रस्सी का एक सिरा अपनी कमर में लपेट, दूसरे सिरे को लकड़ी के बड़े टुकड़े में बाॅध, नदी में कूद पड़ा।

(ज) संबोधन-कारक की संज्ञा और संबोधन शब्दों के पश्चात्; जैसे, घनश्याम, फिर भी तू सबकी इच्छा पूरी करता है। लो, मैं यह चला।

(झ) छंदों में बहुधा यति के पश्चात् , जैसे―

भणित भोर सब गुण-रहित, विश्व-विदित गुण एक।

(ञ) उदाहरणो में, जैसे, यथा, आदि शब्दों के पश्चात्।

(ट) संख्या के अंकों में सैकड़े से ऊपर इकहरे वा दुहरे अंकों के पश्चात् , जैसे, १,२३४।३३,५४,२१२।

(ठ) संज्ञा-वाक्य को छोड़ मिश्र वाक्य के शेष बड़े उपवाक्यो के बीच में; जैसे, हम उन्हें सुख देंगे, क्योंकि उन्होंने हमारे लिए दुख सहा है। आप एक ऐसे मनुष्य की खोज कराइए, जिसने कभी दुःख का नाम न सुना हो।

(ड) जब संज्ञा-वाक्य मुख्य वाक्य से किसी समुच्चय-बोधक के द्वारा नहीं जोडा जाता; जैसे, लड़के ने कहा, मैं अभी आता हूँ। परमेश्वर एक है, यह धर्म की मूल बात है।

(ढ) जब सयुक्त वाक्य के प्रधान उपवाक्यों में घना संबंध रहता है, तब उनके बीच में; जैसे, पहले मैंने बगीचा देखा, फिर मैं एक टीले पर चढ़ गया, और वहाँ से उतरकर सीधा इधर चला आया है।