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(७) संकेत।

७५२―समय की बचत अथवा पुनरुक्ति के निवारण के लिए किसी संज्ञा के संक्षेप में लिखने के निमित्त इस चिह्न का उपयोग करते हैं, जैसे, डा० घ०। जि०। सर०। श्री०। रा० सा०।

(क) अँगरेजी के कई एक संक्षिप्त नाम हिंदी में भी संक्षिप्त मान लिये गये हैं, यद्यपि इस भाषा में उसका पूर्ण रूप प्रचलित नहीं है; जैसे, बी० ए०। सी० आई० ई०। सी० पी०। जी० आई०। पी० आर०।

(८) पुनरुक्ति-सूचक चिह्न।

७५३—किसी शब्द या शब्दों के बार-बार प्रत्येक पंक्ति में लिखने की अडचन मिटाने के लिए सूची आदि में इस चिह्न का प्रयोग करते हैं, जैसे,

श्रीमान् माननीय प० मदनमोहन मालवीय, प्रयाग
„ बाबू सी० वाई० चिंतामणि,

(६) तुल्यता-सूचक चिह्न।

७५४―शव्दार्थ अथवा गणित की तुल्यता सूचित करने के लिए इस चिह्न का उपयोग किया जाता है। जैसे, शिक्षित=पढ़ा लिखा। दो और दो=४, अ=व।

(१०) स्थान-पूरक चिह्न।

७५५―यह चिह्न सूचियों में खाली स्थान भरने के काम आता है, जैसे,

खेल (कविता) ॱॱॱॱ बाबू मैथिलीशरण गुप्तॱॱॱॱ१७६।

(११) समाप्ति-सूचक चिह्न।

७५६―इस चिह्न का उपयोग बहुधा लेख अथवा पुस्तक के अंत में करते हैं; जैसे,