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(६५३)
पुरुष | एकवचन | पुरुष | बहुवचन |
१ २—३ |
होत रह्यो—रहेऊँ होत रह्यो |
होत रहे |
१—३ | होत रही, रहेऊँ | होत रहों |
१ | भयौ, भयऊँ | १—३ | भये |
२ | भयौ, भयेसि | ||
३ | भयौ, भयऊ, भयेसि |
१—३ | भई | भईं |
१ | भयौ हौं | १—३ | भये हैं |
२—३ | भयौ है | २ | भये हौ |
१ २—३ |
भई हो, भई है |
भईं हैं |
[सू°—अवशिष्ट रूपों का प्रचार बहुत कम है और वे ऊपर लिखे रूपों की सहायता से बनाये जा सकते है।]
व्यंजनांत धातु।
चलना (अकर्मक क्रिया)।
क्रियार्थक संज्ञा—चलना, चलनौं, चलिबौ