पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/६८०

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।।।। कत्त-स्त्रीलिंग। पुरुष एकवचन। पुरुष बहुवचन ।। १ पावति हैं। | पावति हैं २-३ पावति हैं। २' पावति है। अपूर्ण भूत-काल। | कर्ता-पुल्लिगे। ।। १ पावत रह्यों १-३ पावत रहे। | , २-३ पावत रह्यो। २ पावत रहे----ही | कच-स्त्रीलिंग।। १-३ पावत रही १-३ पावत रहीं सामान्य भूत-काल। कर्म-पुल्लिग।। १-३ पायौ १---३ पाये। कर्म–स्रोलिंग।। १-३" पाई। १-–३ पाई [ सु०-सामान्य भूतकाल तथा इस वर्ग के अन्य कालों में सकर्मक क्रिया की काल-रचना अकर्मक क्रिया के समान होती है। अवशिष्ट काल ऊपर के शादर्श पर बन सकते है। अव्यय। १०–अव्यय की वाक्य-रचना में गद्य और पद्य की भापा। में विशेष अंतर नहीं है: पर पिछली भाषा मे इन शब्दों के प्रतिक रूपे का ही प्रचार हेाता है, जिनके कुछ उदाहरण ये हैं- ।। क्रिया-विशेषण। स्थान-वाचक–इहाँ, इत, इतै, ह्याँ, तहाँ, तित, तितै, हाँ, तह, तहँवाँ, कहाँ, कित, कितै, कई, कहँवा, जहा, जित, जितै, जहूँ, जहँला।।