पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/६९०

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(४४) विद्या०―विद्यार्थी (प० रामजीलाल शर्मा)
(४५) विचित्र०―विचित्र-विचरण (पं० जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी)
(४६) विभक्ति०–विभक्ति-विचार (पं० गोविंदनारायण मिश्र)
(४७) ब्रज०―ब्रजविलास (ब्रजवासीदास कवि)
(४८) शकु०―शकुंतला (राजा लक्ष्मणसिंह)
(४९) शिक्षा०―शिक्षा (पं० सकलनारायण पांडेय)
(५०) शिव०―शिव-शभु का चिट्ठा (बाबू बालमुकुद गुप्त)
(५१) श्यामा०―श्यामा-स्वप्न (ठाकुर जगन्मोहनसिंह)
(५२) सत०―सतसई (बिहारीलाल कवि)
(५३) सत्य०―सत्य-हरिश्चंद्र (भारतेदु बाबू हरिश्चंद्र)
(५४) सर०―सरस्वती (पं० महावीर प्रसाद द्विवेदी)
(५५) सरो०―सरोजिनी (बाबू रामकृष्ण वर्म्मा)
(५६) साखी०―साखी (कवीर साहब)
(५७) सुदरी०―सुदरी-तिलक (भारतेदु बाबू हरिश्चंद्र)
(५८) सूक्ति―सूक्ति-मुक्तावली (पं० रामचरित उपाध्याय)
(५९) सूर०—सूर-सागर (सूरदास कवि)
(६०) स्वा०—स्वाधीनता (पं० महावीरप्रसाद द्विवेदी)
(६१) हित०―हितकारिणी (रा० स० पं० रघुवरप्रसाद द्विवेदी)
(६२) हि० को०―हिंदी-कोविद-रत्नमाला (रा० सा० बाबू

श्यामसुंदर दास)

(६३) हि० ग्रं०―हिंदी ग्रंथमाला (पं० माधवराव सप्रे)