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देवनागरी वर्णमाला का कोष्ठक।
स्थान अघोष घोष
स्पर्श ऊष्म ऊष्म स्पर्श स्वर
अल्पप्राण महाप्राण महाप्राण महाप्राण अल्पप्राण महाप्राण +अल्पप्राण (अनुनासिक) अंतस्थ ह्रस्व दीर्घ संयुक्त
कंठ
तालु ए ऐ[१]
मूर्द्धा
दंत
ओष्ठ [२] ओ औ[३]
ड़, ढ़=द्विस्पृष्ट, ज=दंत-तालव्य, फ=दत्तोष्ठ्य। स्थान +नासिका
  1. कंठ+तालु
  2. दंत+ओष्ठ
  3. कंठ+ओष्ठ
 

 

पाँचवाँ अध्याय।
संधि।

५९—दो निर्दिष्ट अक्षरों के पास पास आने के कारण उनके मेल से जो विकार होता है उसे संधि कहते हैं। संधि और संयोग में (१८ वॉ अंक) यह अंतर है कि संयोग में अक्षर जैसे के तैसे रहते हैं, परंतु संधि में उच्चारण के नियमानुसार दो अक्षरों के मेल में उनकी जगह कोई भिन्न अक्षर हो जाता है।

सूचना—संधि का विषय संस्कृत व्याकरण से संबंध रखता है। संस्कृत-