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आ+ ऊ= ओ-महा+ऊरु= महोरु । अ+ ऋ = अर्-सप्त+ऋषि =सप्तर्षि । आ + ऋ =अर्-महा+ऋषि= महर्षि ।

अपवाद--ख + ईर = खैर; अक्ष+ ऊहिनी = अक्षौहिणी - -उढ = प्रौढ़; सुख + ऋत = सुखार्त ; दश + ऋण = दशार्ण,आदि ।

६३--अकार वा आकार के आगे ए वा ऐ हो तो दोनों लकर ऐ, और ओ वा औं रहे तो दोनों मिलकर औ होता है। तु विकार को वृद्धि कहते हैं । यथा-

अ + ए =ऐ--एक-+एक= एकैक ।

अ+ ऐ=ऐ--मत + ऐक्य = मतैक्य ।

आ+ए= ऐसदा + एव= सदैव ।

आ+ ऐ=ऐ—महा + ऐश्वर्य= महैश्वर्य ।

अ +ओ=औ-जल+ ओघ=जलौघ ।

अ +ओ =औ–महा + ओज =महौज ।।

अ+औ= --परम-+ औपध=परमौषध ।

आ+ औ=औ–महा + औदार्य = महौदार्य ।

अपवाद-अ अथवा आ के आगे ओष्ठ शब्द आवे तो विकल्प से ओ अथवा औ होता है; जैसे, विव+ओष्ठ = बिबोष्ठ वा विवौष्ठ;अधर+ओष्ठ=अधरोष्ठ वा अधरौष्ठ ।

६४-हस्व वा दीर्घ इकार, उकार वा ऋकार के आगे कोई असवणं (विजातीय ) रवर आवे तो इ ई के बदले य्, उ ऊ के बदले व् , और ऋ के बदले र् होता हैं । इस विकार को यण कहते हैं। जैसे,

( क ) इ+अ = य-यदि + अपि यद्यपि ।

इ+ = या-इति + आदि = इत्यादि ।