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इ+उ= यु–प्रति+उपकार = प्रत्युपकार ।

इ+ ऊ=यू–नि +ऊन=न्यून ।

इ+ ए = ये--प्रति + एक प्रत्येक ।

ई+अ +य +नदी +अर्पण= नद्यर्पण ।

ई+ आ = यु--देवी + आगमन देव्यागम ।

ई-+ उ = यु-सखी + उचित = सख्युचित ।

ई+ऊ=यू -नदी + ऊर्मि=नघूर्मि ।

ई+ऐ=यै---देवी +ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य ।

(ख) उ+अ=व-मनु+अंतर = मन्वंतर ।

उ+ आ = वा–सु+आगत = स्वागत ।

ऊ-+ इ = वि--अनु + इत= अन्वित ।

ऊ+ ए = वे—अनु + एषण= अन्वेषण ।

(ग) ऋ+अ =र—पितृ+ अनुमति = पित्रनुमति ।

ऋ+ आ =रा–मातृ+ आनंद = मात्रानंद ।

६५-ए, ऐ, ओ चा औ के आगे कोई भिन्न स्वर हो तो इनके स्थान में क्रमशः अय् , आय् , अव् वा आव् होता है, जैसे-

ने + अन = न् + ए+अ+न= न्+अय् + अन = नयन ।

गै + अन =ग् +ऐ+अ+न=ग् + आय् + अ +न =गायन ।।

गो-+ ईश= ग्+ओ+ई+श=ग् +अव् + इ +श= गवीश।

नौ + इक= म् + औ + इ +क=न् + आव् + इ + क = . नाविक ।

६६-ए वा ओ के आगे अ आवे तो अ का लोप हो जाता हैं और उसके स्थान में लुप्त अकार (s) का चिह्न कर देते हैं;