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यह एक पूर्ण विचार अर्थात् वाक्य है और इसमें पाँच शब्द हैं—आज, तुझे, क्या, सूझी, है। इनमें से प्रत्येक शब्द एक स्वतंत्र सार्थक ध्वनि है और उसमें कोई एक भावना प्रकट होती है।

(इ) , ड़, का अलग अलग शब्द नहीं हैं, क्योंकि इनसे किसी प्राणी, पदार्थ, धर्म वा उनके परस्पर संबंध का कोई बोध नहीं होता। , ड़, का, अक्षर कहाते हैं—इस वाक्य में ,ड़ , का, अक्षरों का प्रयोग शब्दों के समान हुआ है, परंतु इनसे इन अक्षरों के सिवा और कोई भावना प्रकट नहीं होती। इन्हें केवल एक विशेष (पर तुच्छ) अर्थ में शब्द कह सकते हैं, पर साधारण अर्थ में इनकी गणना शब्दों में नहीं हो सकती। ऐसे ही विशेष अर्थ में निरर्थक ध्वनि भी शब्द कही जाती है, जैसे, लड़का, 'बा' कहता है। पागल 'अल्लबल्ल' बंकता था।

(ई) शब्द के लक्षण में 'स्वतंत्र' शब्द रखने का कारण यह है कि भाषा में कुछ ध्वनियाँ ऐसी होती हैं जो स्वयं सार्थक नहीं होतीं, पर जब वे शब्दों के साथ जोड़ी जाती हैं तब सार्थक होती हैं। ऐसी परतंत्र ध्वनियों को शब्दांश कहते हैं; जैसे, ता, पन, वाला, ने, को, इत्यादि। जो शब्दांश किसी शब्द के पहले जोड़ा जाता है उसे उपसर्ग कहते हैं और जो शब्दांश शब्द के पीछे जोड़ा जाता है वह प्रत्यय कहाता है, जैसे, 'अशुद्धता' शब्द में 'अ' उपसर्ग और 'ता' प्रत्यय है।

[सूचना—हिंदी में 'शब्द' का अर्थ बहुत ही संदिग्ध है। "अब तो तुम्हारी मनकामना पूरी हुई—इस वाक्य में 'तुम्हारी' भी शब्द कहलाता है। और जिस 'तुम' से यह शब्द बना है वह 'तुम' भी शब्द कहता है। इसी प्रकार 'मन' और 'कामना' दो अलग अलग शब्द हैं और दोनो मिलकर 'मनस्कामना' एक शब्द बना है। इन उदाहरणों में 'शब्द' का प्रयोग अलग अलग अर्थों में हुआ है; इसलिए शब्द का ठीक अर्थ जानना आवश्यक है। जिन प्रत्ययों के पश्चात् दूसरे प्रत्यय नहीं लगते उन्हें चरम