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पदार्थ के विषय में विधान ही करता है। 'मैला' शब्द पानी की विशेषता बताता है, इसलिए वह एक अलग ही जाति का शब्द है। पदार्थ की विशेषता बतानेवाले शब्द को व्याकरण में विशेषण कहते हैं। 'मैला' शब्द विशेषण है। "मैला पानी अभी बहा"—इस वाक्य में 'अभी' शब्द 'बहा' क्रिया की विशेषता बतलाता है; इसलिए वह एक दूसरी ही जाति का शब्द है, और उसे क्रिया-विशेषण कहते हैं। इसी तरह वाक्य में प्रयोग के अनुसार शब्दों के और भी भेद होते हैं।

प्रयोग के अनुसार शब्दों की भिन्न भिन्न जातियों को शब्द-भेद कहते हैं। शब्दों की भिन्न भिन्न जातियाँ बताना उनका वर्गीकरण कहलाता है।

९१—अपने विचार प्रकट करने के लिए हमें भिन्न भिन्न भावनाओं के अनुसार एक शब्द को बहुधा कई रूपों में कहना पड़ता है।

मान लो कि हमे 'घोड़ा' शब्द का प्रयोग करके उसके वाच्य प्राणी की संख्या का बोध कराना है तो हम यह घुमाव की बात न कहेंगे कि "घोड़ा नाम के दो या अधिक जानवर" किंतु 'घोड़ा' शब्द के अंत्य 'आ' के बदले 'ए' करके 'घोड़े' शब्द का प्रयोग करेंगे। 'पानी गिरा' इस वाक्य में यदि हम 'गिरा' शब्द से किसी और काल (समय) का बोध कराना चाहें तो हमें 'गिरा' के बदले 'गिरेगा' या 'गिरता है' कहना पड़ेगा। इसी प्रकार और और शब्दों के भी रूपांतर होते हैं।

शब्द के अर्थ में हेरफेर करने के लिए उस (शब्द) के रूप में जो हेरफेर होता है उसे रूपांतर कहते हैं।

९२—एक पदार्थ के नाम के संबध से बहुधा दूसरे पदार्थों के नाम रक्खे जाते हैं, इसलिए एक शब्द से कई नये शब्द बनते