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प्राणी वा पदार्थ का नाम हों वह उसे एक ही प्राणी वा पदार्थ को छोड़कर दूसरे व्यक्ति का नाम नहीं हो सकती । नदियों में 'गंगा' एक ही व्यक्ति ( अकेली नदी ) का नाम है; यह नाम किसी दूसरी । नदी का नहीं हो सकता । संसार में एक ही राम, एक ही काशी और एक ही गंगा है । ‘महामंडल’ लोगों के एक ही समूह (सभा) का नाम है; इस नाम से कोई दूसरा समूह सूचित नहीं होता । इसी प्रकार ‘हितकारिणी' कहने से एक अकेले समूह ( व्यक्ति ) का बोध होता है। इसलिए राम, काशी, गंगा' महामंडल,हितकारिणी व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।

व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ बहुधा अर्थ-हीन होती हैं। इनके प्रयोग से जिस व्यक्ति का बोध होता है उसका प्रायः कोई भी धर्म इनसे सूचित नहीं होता। नर्मदा नाम से एक ही नदी का अथवा एक ही स्त्री का या और किसी एक ही व्यक्ति का बोध हो सकता है, पर इस नाम के व्यक्ति का प्रायः कोई भी धर्म इस शब्द से सूचितं नहीं होता । 'नर्मदा' शब्द आदि में अर्थवान् ( नर्म ददातीति ‘नर्मदा ) रहा हो, तथापि व्यक्तिवाचक संज्ञा में उसका वह अर्थ अप्रचलित हो गया और अब वह नाम पहचानने के लिए किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है। व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति की पहचान या सूचना के लिए केवल एक संकेत है और यह संकेत इच्छा-नुसार बदला जा सकता है। यदि किसी घर में मालिक और नौकर का नाम एक ही हो तो बहुत करके नौकर अपना नाम बदलने को राजी हो जायगा । एक ही नाम के कई मनुष्यों की एक दूसरे से भिन्नता सूचित करने के लिए प्रत्येक नाम के साथ बहुधा कोई संज्ञा या विशेषण लगा देते हैं, जैसे,देवदत्त, बाबू देवदत्त, इत्यादि । यदि एक ही मनुष्य के दो नाम हों तो व्यवहारी वा सरकारी कागंज-पंत्रों में उसे दोनों लिखने पड़ते हैं, जिसमें उसे अपने किसी एक नाम की