पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१०१

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खूटना ११७७ खेकसाः खुटा-क्रि०अ० [सं० खण्डन ] १. अवरूद्ध होना । रुक जाना । खूवकला-संक्षा बी० [फा० खूनकालाँ] फारम देश के माजिदर बद हो जाना । 30-छोड़ दई सरिता सब काम मनोरथ के .. नामक प्रांत में उत्पन्न होने वाली एक प्रकार की घास के बीज, रथ की गति खूटी 1-केशव (शब्द०)२ कम हो जाना। जो पोस्ते के दानों के समान और गुलाबी रंग के होते हैं। . चुक जाना । खतम हो जाना । जकागज गरे मेष मसि स्वाकसीर । .. खटी सर दो लागि जरे। सेवक सूर लिखे ते माधो पलक विशेष-दे० 'खापासीर'। . . कपाट भरे ।—सूर (शब्द०) खूबड़खाबड़ा--वि० [अनु॰] जो वरावर या समथल न हो। चा । खूटना-क्रि० स० [सं० खण्ड ] छेड़ना। उ०-प्रसनेहिन हित

नीचा । विषम ।..

. नगर में सकत न कोऊ खूट । चतुर जगानी लाल दूग लेत। खूवरू-वि० [फा० खुबरू ] [संज्ञा स्त्री० सूबरूई ] सुदर। . सनेहिन लूट !-रसिनिधि ...शब्द०)। . . खूबसूरत-वि० [फा० खुबसूरती] सूदर । रूपवान । ... खुद-संज्ञा पुं० [सं० क्षद्र ] किसी वस्तु को छान लेने या साफ कार खूबसूरतो----संज्ञा स्त्री० [फा० ख बसूरत) सौंदर्य । सुदरता। लेने पर निकरमा वचा हुप्रा भाग। तलछट । मैल। . खूबानी-- संशा मी० [फा० खसानी ] एक प्रकार का मेवा । जर. खूदड़ा, खूदरी--संज्ञा पुं० [सं० क्षुद्र, हिं० खूद 1 दे० 'खूद, । 1. दालू । कुश्माल । खून-~संज्ञा पुं॰ [फा० खून ] १. रक्त । रुधिर । लहू । विशेष—इसका पेड़ काबुल की पहाड़ियों पर होता है। वहीं से: क्रि० प्र०-गिरना-चलना 1-जमना ।--निकल ना ।- यह मेवा भारत में प्राता है। इसे जरदान भी कहते हैं । । निकालना ।-बहना ।-बहाना। . इसके फल सुखा लिए जाते हैं और इसके बीजों से तेल महा०-खन उबलना या खोलना = क्रोध से शरीर लाल होना। . निकाला जाता है, जिसे 'कड़ ए बादाम का तेल'. कहते हैं। गुस्सा चढ़ना ।खों में खून उतरना = अत्यंत क्रोध के कारण इसके पेड़ से एक प्रकार का कतीरे की भांति का गोंद पाखें लाल हो जाना । खून जमना=अत्यधिक शीत के कारण निकलता है, जिसे 'चेरी गम' कहते हैं। इसके फल मई से रक्त प्रवाह का रुक जाना । खून के आँसू रोना= अत्यंत सितंबर तक पकते हैं । इसका पेड़ मझोले डील का होता है शोकात होना । खून का प्यासा वध का इच्छुक । खून खुएक और हर साल इसके पत्ते झड़ते हैं। . होना या सूखना- अत्यंत भयभीत होना। खून सफेद हो . खूबी-संशा श्री० [फा० खूब ] १. लाई। अच्छाई । अच्छापन। जाना= सुजनता या स्नेह आदि का नष्ट हो जाना । खून सिर । पर चढ़ना या सवार होना=किसी को मार डालने की उम्दगी । २. गुण । विशेषता । विलक्षाता। . खुरन-संज्ञा स्त्री० [सं०क्षर] हाथियों के पैरों के नाखूनों की एक प्रकार का और कोई अनिष्ट करने पर उद्यत होना । खून बीमारी जिसमें हाथी लेंगड़ाने लगा है। . . .. विगड़ना=(१) रक्त में किसी प्रकार का विकार होना। खूलिंजान-संवा पुं० [फा० खलंजान ] कुलंजन । पान की जा (२) कोढ़ी हो जाना । खून का जोश = वंश या कुल का प्रेम। [को०] । खून बहाना = मार डालना । खून निकलवाना - फसद खुल खूसट'--संशा पुं० [सं० कोशिक ] उल्लू 1. घुग्धू । । उ०-होय जियार: वाना । खून पीना -(3) मार डालना (२) बहुत तंग । बैठ जस तर्प । खूसट मुह न दिखावं छपं ।-जायसी (शब्द०) करना । सताना । (३) बहुत दुःख सहना । ...... खूसटर---वि१. जिसे पामोद प्रमोद वःभावे । शुष्कहृदय । २. वध । हत्या। कतल .. . . अरसिक । मनहूस १२. बुड्ढा । खम्वोस । डोका .. क्रि० प्र०—करना ।—होना । . ... ... ... खबर -संक्षा पु हि० खसट ] दे० 'खुसट'। उ०-राजमराल - यो०-खूनखरावा । . . .. ... को बालक - पेलि के पालत लाल खूसर को तुलसी खूनखराबा'--संज्ञा पुं० [हिं० खून खराबी] मारकाट .. (शब्द०)। खूनखराबा- संज्ञा पुं० [ देश० ] एक प्रकार को वानिश जो लकड़ी . . . . - पर की जाती है। खूसर-वि० दे० 'खूसट' । .:. . - खुष्टीय---वि० [अ० क्राइस्ट> हिं० खुष्ट + सं० ईय (प्रत्य॰)]. खूनखराबा-संचा पुं० [ देश ] मजीठ। . .. ईसा संबंधी । ईसा का । ईसाई। . . खनी--वि० [फा०] १. मार डालनेवाला । हत्यारा । घातक । उ०- खेई-संज्ञा स्त्री० [देश॰] झड़वरी की सुखी झाड़ी। झाड झंखाड़। . . छुटन न पेयत छिनक बसि नेह नगर यह चाल । मारघो फिर . फिरि मारिये खूनी फिरत पुस्याल ।-बिहारी (शब्द॰) । २... खक संध पुं० दिव०].बरमा, स्याम और मनीपुर के जगलों में होने .. अत्याचारी। जालिम। वाला एक बड़ा पेड़, जिसकी लाड़ी बहत अच्छी होती है। खुव-वि० [फा० खूब ] सिंद्धा खुबी अच्छा। भला । उमदा. विशेष इस पेड़ का रस बनी बनाई वारनिश का काम देता - उत्तम । ... है। जुलाई से अवबर तक इसके पेड़ों से जो रस निकाला.. यौ०-खूबसूरत । ...:.... .:..: .. जाता हैं, वह उत्तम समझा जाता है। खूब - अव्य० साधुवाद । वाह । क्या । खुब । साधु । खेकसा-संज्ञा पुं॰ [देश॰] परवल के आकार का एक फल जो . - खब-क्रि० वि० पूर्ण रीति से । मच्छी तरह से। .: तरकारी के काम आता है । ककोड़ा । .